शुक्रवार को भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली, बीएसई सेंसेक्स 953 अंक गिरकर 81,248 पर और निफ्टी 286 अंक गिरकर 24,859 पर बंद हुआ। बीएसई में सूचीबद्ध सभी कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 4.46 लाख करोड़ रुपये घटकर 461.22 लाख करोड़ रुपये रह गया।
इस गिरावट ने निवेशकों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या पोर्टफोलियो को हल्का किया जाना चाहिए? क्या यह महज एक अस्थायी गिरावट है या कुछ बड़ा होने वाला है? आइए संभावनाओं और आशंकाओं को जानने की कोशिश करते हैं।
वैसे, इस गिरावट की मुख्य वजह यह रही कि निवेशक अमेरिका में नौकरियों के महत्वपूर्ण आंकड़ों के जारी होने से पहले सतर्क हो गए। इन आंकड़ों के आधार पर फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की संभावना बन सकती है, जिससे बाजार में अस्थिरता बढ़ गई।
अमेरिकी बाजारों में गिरावट के कारण इसका असर भारतीय बाजार पर भी देखने को मिला। विश्लेषकों के अनुसार, पिछले 2 सप्ताह में सेंसेक्स और निफ्टी में लगातार तेजी के बाद निवेशकों ने आज मुनाफावसूली की है। अगर ऐसा होता है, तो डरने की कोई बात नहीं है।
बाजार में गिरावट के मुख्य कारण
अमेरिका में नौकरियों के आंकड़ों को लेकर चिंता
अमेरिका में गैर-कृषि पेरोल रिपोर्ट जारी होने से पहले निवेशक चिंतित हैं। फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने हाल ही में कहा था कि नीति निर्माता श्रम बाजार में और कमजोरी नहीं चाहते हैं। इससे सितंबर में दरों में कटौती की संभावना बढ़ गई है।
अगर ये आंकड़े उम्मीद से कम आते हैं और बेरोजगारी दर बढ़ती है, तो फेडरल रिजर्व दरों में 50 आधार अंकों की कटौती कर सकता है। हालांकि, इससे बाजार में और अस्थिरता आ सकती है, जिससे निवेशकों की चिंता बढ़ गई है।
बैंक शेयरों में गिरावट
भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट का एक और कारण बैंकिंग क्षेत्र में गिरावट रही। भारतीय रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि जून 2024 की तिमाही में जमा में 11.7% की वृद्धि हुई, जबकि बैंक ऋण में 15% की वृद्धि हुई। इस बढ़ते अंतर ने निवेशकों में नकदी संकट की चिंता बढ़ा दी, जिससे बैंक शेयरों में गिरावट आई।
वैश्विक मंदी का असर
वैश्विक बाजारों में मंदी के बीच भारतीय शेयर बाजार में भी गिरावट आई। अमेरिकी शेयर बाजारों में भी तीनों प्रमुख सूचकांकों में गिरावट देखी गई, जहां एसएंडपी 500 में 0.3%, डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज में 0.54% और नैस्डैक कंपोजिट में 0.25% की गिरावट आई। एशियाई बाजारों में निक्केई और कोस्पी में भी गिरावट देखी गई, जिसका भारतीय बाजार पर भी नकारात्मक असर पड़ा।
विदेशी निवेशकों की बिकवाली
5 सितंबर को विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने 688 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 2,970 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। इस बिकवाली ने भी बाजार में गिरावट में योगदान दिया।
कच्चे तेल की कीमतें
कच्चे तेल की कीमतें भी स्थिर रहीं, जिससे निवेशक असमंजस में हैं। ब्रेंट क्रूड वायदा 72.7 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था और यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड 69.16 डॉलर प्रति बैरल पर था, जो मिश्रित संकेत दे रहा था।
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