नई दिल्ली। कोरोना महामारी से बाहर निकलने के बाद देश-दुनिया में स्थिति सामान्य होती जा रही है, लेकिन अमेरिका, ब्रिटेन (यूनाईटेड किंगडम), चीन, यूरोप, लैटिन अमेरिका के देश अभी भी आर्थिक विकास की गति को पुरानी स्थिति ले जाने में संघर्ष कर रहे हैं. लेकिन ऐसे समय में भारत की अर्थव्यवस्था छलांगें मार रही है. इसकी झलक चालू वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में देखी जा रही है. यह आंकड़ा अब 13.5% हो चुका है.

भारत का निजी अंतिम उपभोग व्यय (PFCE) चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 22 लाख करोड़ है. 2019-20 में यह 20 लाख करोड़ के करीब था. इसमें भी 10% की वृद्धि हुई है. विशेषज्ञों के अनुसार, भारतीय जीडीपी 36.85 लाख करोड़ रुपए है, जो न केवल पूर्व-कोविड स्तरों को पार कर गया है, बल्कि यह पूर्व-महामारी के स्तर से 3.83% अधिक है. यह सरकार की समझदारी भरी आर्थिक नीति का परिणाम है कि भारत अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में मुद्रास्फीति के न्यूनतम प्रभाव के साथ दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है.

आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) के अनुसार, इस समय में दुनिया के कुछ चुनिंदा देशों की अर्थव्यवस्था के हालात काफी खराब हैं. अप्रैल-जून 2022 के लिए चीन (0.4%), जर्मनी (1.7%), यूएस (1.7%), फ्रांस ( 4.2%), इटली (4.6%) और कनाडा (4.8%) की जीडीपी का खस्ता हाल रहा. चीन का बैंकिंग और रियल एस्टेट क्षेत्र गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है. कोरोना महामारी के बाद देश में लागू किए गए कठोर शून्य कोविड लॉकडाउन को इसका कारण बताया जाता है. इसके अलावा चीन की ताइवान से तनातनी ने स्थिति को खराब किया. इसके अलावा चीन के बेल्ट रोड इनिशिएटिव (BRI) में शामिल श्रीलंका, पाकिस्तान, म्यांमार और केन्या जैसे देश दिवालियापन का सामना कर रहे हैं.

बता दें कि भारत की खुदरा मुद्रास्फीति (सीपीआई-सी) जुलाई 2022 में पांच महीने के निचले स्तर 6.71 प्रतिशत पर आ गई है. वही चालू वित्तीय वर्ष में भारत के 7 प्रतिशत से अधिक वृद्धि दर हासिल करने का अनुमान है. विशेषज्ञों का मानना है कि वित्त वर्ष 2013 में 7% से अधिक की वार्षिक वृद्धि अभी भी पर्याप्त नीति समर्थन के साथ संभव है, जो व्यापार, होटल, परिवहन आदि में निरंतर विकास की गति को सुनिश्चित करता है. मांग पक्ष पर सरकारी पूंजीगत व्यय में वृद्धि करके इस क्षेत्र को पूरक बनाया गया है. यही नहीं इंडिया इंक भी भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती को लेकर आश्वस्त है.

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