हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर (Indore) में प्राचार्य (principal) पर पेट्रोल (Petrol) डालकर जान से मारने के मामले में पुलिस प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आई है। मामले में संबंधित थाने को कई बार शिकायत और आवेदन (complaint) देने के बाद पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी है। यदि शिकायत मिलते ही पुलिस सख्त कदम उठा लेती तो यह हादसा संभवतः नहीं होता।

बताया जाता है कि मामले में सिमरोल पुलिस कम्प्लेंट लेकर बैठी रही और आरोपी ने बड़ी घटना को अंजाम दे दिया। प्राचार्य विमुक्ता शर्मा आरोपी छात्र के खिलाफ 4 बार आवेदन दे चुकी थी। पुलिस से खुद की सुरक्षा के लिए भी आवेदन दिए थे। आरोपी आशुतोष फोन पर जान से मारने की धमकी देता था। कुछ महीने पहले एक प्रोफेसर को गला पकडकर उपर से फेंकने की कोशिश भी कर चुका था। प्राचार्य ने कई मर्तबा पुलिस से सुरक्षा की मांग कर चुकी थी।

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बता दें कि पूरा मामला सिमरोल थाना क्षेत्र के बीएम कॉलेज ऑफ फार्मेसी का है, जहां की प्रिंसिपल वीमुक्ता शर्मा घटना के दिन 4.30 बजे कॉलेज से अपने घर के लिए रवाना हो रही थी, तभी पूजा के लिए कॉलेज में लगे पेड़ से बेल पत्र तोड़ने के लिए रुकी। इतने में आरोपी आशुतोष श्रीवास्तव ने बाल्टी भरकर पेट्रोल डाल दिया और आग लगा दी। मौके पर मौजूद इलेक्ट्रीशियन और स्पोर्ट्स टीचर ने घायल अवस्था में प्रिंसिपल को निजी अस्पताल में भर्ती कराया, जहां पर उनका उपचार जारी है.

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पुलिस के मुताबिक आरोपी भी 30% तक झुलसा है। आरोपी को इंदौर के एमवाय अस्पताल में भर्ती किया गया है. जहां आरोपी का भी इलाज जारी है. एसपी भगवानदास विरदे ने बताया कि आरोपी ने पहले विजय पटेल नामक प्रोफेसर पर भी चाकू से चार वार किए थे। उस समय भी आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर थाने से ही जमानत पर छोड़ दिया था।

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