रायपुर. बीज निगम में ब्लैक लिस्टेड कंपनी को करोड़ों का भुगतान किए जाने का मामला आज विधानसभा में ज़ोर शोर से गूंजा. नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने मामले को उठाते हुए पूछा कि जब कृषि मंत्री ने त्रिमूर्ति साइंस प्लांट नाम की कंपनी को ब्लैक लिस्ट किए जाने का एलान इसी सदन में किया था. ऐसे में प्रतिबंध हटाकर आख़िर कैसे करोड़ों का भुगतान कर दिया गया. कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने गड़बड़ी मानी और कहा कि यह तथ्य सामने आने पर दोबारा कंपनी को डिबार किया गया. मामले की गंभीरता को देखते हुए विपक्ष में सदन की कमेटी से जाँच की माँग की, जिस पर मंत्री की सहमति मिलने के बाद स्पीकर डॉक्टर चरणदास महंत ने विधानसभा की कमेटी से जाँच कराए जाने का एलान किया.

नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने प्रश्नकाल में इस मामले को उठाते हुए सरकार से सवाल किया कि आखिर प्रतिबंधित कंपनी को नियम विरुद्ध काम कैसे दिया गया और उसके बाद इसका भुगतान कैसे हुआ. नेता प्रतिपक्ष के सवाल का जवाब देते हुए कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि सरकार इस मामले में जांच कराएगी लेकिन नेता प्रतिपक्ष के सदन की समिति से जांच कराने के मांग पर कृषि मंत्री ने कहा कि सदन की समिति से जांच कराने की आवश्यकता नहीं है इस पर भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने कहा कि इस मामले में यह साफ है कि इस कंपनी को सरकार ने ब्लैक लिस्ट की सूची में डाल रखा है और उसके बाद भी उस कंपनी को भुगतान किया गया है ऐसी स्थिति में सरकार को तुरंत जांच सदन की समिति से करानी चाहिए विपक्ष के दबाव बनाने के बाद कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने सदन की समिति से इस मामले की जांच कराने की घोषणा की.

विस्तार से समझे इस पूरे मामले को

नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिश ने पूछा था कि कृषि विभाग व बीज निगम द्वारा 1 जनवरी, 2019 से 1 जनवरी, 2022 तक किन-किन सामग्री प्रदायकर्ता कम्पनी/फर्मों को बतेक लिस्टेड/डीवार/प्रतिबंधित किन कारणों से कब व किसके आदेश से किया गया था ? किन-किन कम्पनियों को कब-कब, किसके आदेश से किस आधार पर ब्लैक लिस्ट /प्रतिबंध से हटाया गया. उन्होंने ये भी पूछा था कि इस हेतु शासन से कब-कब अनुमोदन प्राप्त किया गया ?

विधानसभा में कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने बाताय कि  छ.ग. राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम द्वारा 1 जनवरी 2019 से 31 जनवरी 2022 तक किसी को ब्लैक लिस्ट नहीं किया गया. उनके दूसरे सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि छ.ग. राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम द्वारा किसी भी कम्पनी को डिबार से नहीं हटाया गया है. उन्होंने ये भी कहा कि यह सही नहीं है, कि त्रिमूर्ति प्लांट साइंस फर्म को डिबार/प्रतिबंधित करने के बाद डिबार सूची से हटाया गया है. उन्होंने बताया कि त्रिमूर्ति प्लांट साइंस को आरसीओ-53 हाईब्रीड पैडी सीड – नोटिफाइड, वर्ष 2019-20 के अंतर्गत डिबार किया गया है.

  उक्त संस्था के अन्य आर.सी.ओ. (हाईब्रिड वेजिटेबल सीड, वर्ष 2019-20) एवं आर.सी.ओ.-54 (हाईब्रिड मक्का बीज वर्ष 2019-20) में क्रय आदेश जारी किए गए है.