रायपुर- छत्तीसगढ़ के चर्चित आईएएस अधिकारी बाबूलाल अग्रवाल को अनिवार्य़ सेवानिवृत्ति दिए जाने के आदेश को कैट ने पलट दिया है. सरकार की कार्रवाई के विरोध में बाबूलाल अग्रवाल ने कैट में अपील की थी, जिसकी सुनवाई के बाद फैसला उनके पक्ष में आया. कैट ने अपने आदेश में कहा है कि बाबूलाल अग्रवाल के खिलाफ अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश रद्द करने के साथ-साथ उनकी वरिष्ठता बरकरार रहेगी.
कैट से फैसला आने के बाद आईएएस बाबूलाल अग्रवाल ने लल्लूराम डाॅट काम से हुई बातचीत में कहा कि-
मैंने कभी कोई गलत काम नहीं किया था. मेरा पक्ष लिए बगैर मेरे खिलाफ सरकार ने फैसला सुना दिया. फैसले को मैंने कैट में चुनौती दी थी. कैट ने तमाम पहलूओं पर विचार करते हुए मेरे पक्ष में फैसला दिया है. कठिन वक्त पर साथ देने वाला का मैं शुक्रिया अदा करता हूं.
पिछले साल अगस्त में राज्य सरकार की अनुशंसा के बाद केंद्र सरकार ने बाबूलाल अग्रवाल को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी थी. केंद्र सरकार की डीओपीटी ने उनके सेवाकाल को संतोषजनक नहीं पाया था. 1988 बैच के आईएएस बाबूलाल अग्रवाल का नाम उस वक्त चर्चा में आया था जब उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में आयकर विभाग की बड़ी कार्रवाई हुई थी. बाबूलाल पर आरोप लगा था कि उन्होंने रायपुर के खरोरा के 220 गांव वालों के नाम से फर्जी बैंक खाते खुलवा कर उसमें भारी निवेश किया है. हालांकि बाद में सरकार ने बाबूलाल अग्रवाल को निर्दोष मानते हुए ना केवल उनकी सेवा बहाली की थी, बल्कि उन्हें पदोन्नत भी किया.
बता दें कि आयकर चोरी के मामले में ही चल रही सीबीआई जांच के दौरान बाबूलाल अग्रवाल पर मामले को दबाने के लिए रिश्वत देने का आरोप लगा और इस आरोप के बाद ही उन्हें गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तारी के बाद बाबूलाल अग्रवाल तिहाड़ जेल में भी रहे. प्रवर्तन निदेशालय ने बाबूलाल अग्रवाल पर आरोप लगाते हुए कहा था कि 2006 से 2009 के बीच उन्होंने भ्रष्टाचार के जरिए 36 करोड़ रूपए की संपत्ति बनाई. प्रवर्तन निदेशालय ने भी 2010 में बाबूलाल अग्रवाल के खिलाफ मामला दर्ज किया था.
बाबूलाल अग्रवाल के पहले आईपीएस के सी अग्रवाल ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति के फैसले के विरोध में कैट में अपील की थी. सुनवाई के बाद कैट ने के सी अग्रवाल के पक्ष में फैसला सुनाते हुए सरकार का आदेश पलटा था.