रायपुर- भूपेश सरकार ने निजी मंडियों पर नियंत्रण के लिए विधानसभा में जिस कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक को पारित कराया है, वह राज्यपाल की मंजूरी के लिए अटक गया है. संशोधन विधेयक पर अब तक राज्यपाल ने हस्ताक्षर नहीं किए हैं. बताते हैं कि इस विधेयक को लेकर राज्यपाल विधि विशेषज्ञों की राय ले रही हैं. हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार ने केंद्र के कानून के विरोध में विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर मंडी विधेयक में महत्वपूर्ण संशोधन किया था. तब सरकार ने यह दलील दी थी कि हमने केंद्र के कानून को छुए बगैर यह संशोधन लाया है. विशेष सत्र में संशोधन विधेयक ध्वनिमत से पारित हुआ था. इसके बाद इसे राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा गया.

यह पहला मौका नहीं है जब राज्यपाल ने विधानसभा में विधेयक पारित होने के बाद उस पर अपनी क्वेरी न निकाली हो. इससे पहले भी विश्वविद्यालयों में कुलपित की नियुक्ति और उसे हटाने संबंधी विधेयक के पारित होने के मामले में भी उन्होंने विषय विशेषज्ञों से सलाह लिए जाने की दलील के साथ विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं किए थे. कृषि कानून में संशोधन के बाद विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए जाने के प्रस्ताव पर भी राज्यपाल ने सवाल उठाया था, हालांकि बाद में सरकार की ओर से उनके पूछे गए सवालों का जवाब दिए जाने के बाद सत्र की अधिसूचना जारी की गई थी.

इधर कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं किए जाने के मामले में कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा है कि-

‘हमने केंद्र सरकार के किसी भी कानून को बायपास नहीं किया है. उम्मीद है कि विधेयक जल्द ही कानून का रूप ले लेगा.

इससे पहले विशेष सत्र के दौरान जब संशोधन विधेयक सदन में पारित किया गया था, तब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था कि हम किसानों के हितों के संरक्षण के लिए कानून बनाया है. संविधान में प्रदत्त अधिकारों के तहत यह कानून बनाया है. तब कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने सदन में कहा था कि, संविधान में संघीय ढांचा है. हम क्यों केंद्र से टकराएंगे, हमारी कृषि को व्यापार से मत जोड़िये, कृषि राज्य सूची का विषय है. संविधान में इस पर कानून बनाने का पूरा अधिकार राज्य को दिया गया है.