बिलासपुर. छत्तीसगढ़ में 11 संसदीय सचिव मामले की अहम सुनवाई 30 जनवरी को होगी. याचिकाकर्ता और पूर्व मंत्री मो. अकबर के वकील अम्रितो दास ने मंगलवार को चीफ जस्टिस से जल्द सुनवाई करने की अपील की थी. अम्रितो ने कहा था कि मामले में काफी विलम्ब हो रहा है. जिसके बाद उच्च न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई के लिए 30 जनवरी की तारीख तय की है.
वहीं मामले में मो अकबर ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में पूरी तरह से संसदीय सचिव की नियुक्ति असंवैधानिक है. संसदीय सचिव बनाये जाने का छत्तीसगढ़ विधानसभा में कोई नियम नहीं बनाया गया है और जिन राज्यों में संसदीय सचिवों की नियुक्ति की गई थी, वहां भी सुप्रीम कोर्ट ने संसदीय सचिव की नियुक्ति को असंवैधानिक माना था.
अकबर ने कहा है कि उन्हें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है. उन्हें उम्मीद है कि सभी संसदीय सचिवों की नियुक्ति अवैध घोषित होगी और उनकी विधायकी भी रद्द होगी. जिसके बाद रमन सरकार अल्पमत में आ जायेगी.
गौरतलब है कि मोहम्मद अकबर और राकेश चौबे ने संसदीय सचिवों को लाभ का पद बताते हुए उन्हें हटाने की मांग की है. इस मामले में मोहम्मद अकबर ने ये भी मांग की है कि संसदीय सचिवों ने लाभ के पद का लाभ लिया है. इसलिए उन्हें विधायकी से भी हटाया जाए.
इस मामले में हाईकोर्ट ने अपनी पूर्व की सुनवाई में संसदीय सचिवों के काम करने पर रोक लगा दी थी. लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी संसदीय सचिव गाड़ी और दूसरी सुविधाओं का लाभ ले रहे थे. इसका खुलासा एक आरटीआई से हुआ था. इसके बाद अकबर ने सभी संसदीय सचिवों के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का मामला दर्ज कराया था.
ये बनाए गए हैं संसदीय सचिव
राजू सिंह क्षत्रिय, तोखन साहू, अंबेश जांगड़े, लखन लाल देवांगन, मोतीलाल चंद्रवंशी, लाभचंद बाफना, रूपकुमारी चौधरी, शिवशंकर पैकरा, सुनीति राठिया, चंपा देवी पावले और गोवर्धन सिंह मांझी संसदीय सचिव है.