स्पोर्ट्स डेस्क. सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई के संविधान में संशोधन से जुड़ी याचिका में यह फैसला सुनाया है. भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह को देश की सर्वोच्च अदालत से बड़ी राहत मिली है. दोनों ही आने वाले तीन साल तक बीसीसीआई में अपने पद पर बरकरार रह सकते हैं. यानी बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली, सचिव जय शाह के कार्यकाल पर अभी कोई संकट नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपने फैसले में कहा गया है कि, बीसीसीआई के एक कार्यकाल के बाद कूलिंग ऑफ पीरियड की जरूरत नहीं है, लेकिन दो कार्यकाल के बाद ऐसा करना होगा. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साफ है कि सौरव गांगुली और जय शाह आने वाले तीन साल तक अपने पद पर बरकरार रह सकते हैं.

टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने 23 अक्टूबर 2019 को बीसीसीआई अध्यक्ष का पद संभाला था, जबकि जय शाह 24 अक्टूबर 2019 को बीसीसीआई के सचिव बने थे. ऐसे में दोनों का ही कार्यकाल अगले महीने यानी अक्टूबर 2022 में खत्म हो रहा था. यही कारण था कि बीसीसीआई द्वारा सुप्रीम कोर्ट में इस मामले से जुड़ी याचिका पर जल्द सुनवाई की अपील की गई थी. अब दोनों को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है, ऐसे में दोनों ही साल 2025 तक अपने पद पर बने रह सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला सिर्फ बोर्ड अध्यक्ष और बोर्ड सचिव के लिए नहीं बल्कि बीसीसीआई और राज्य एसोसिएशन के सभी अधिकारियों/पदों के लिए भी है.

बीसीसीआई द्वारा कोर्ट से अपील की गई थी कि, उनके अधिकारियों को लगातार दो कार्यकाल तक बने रहने की इजाजत दी जाए, इसमें से एक कार्यकाल राज्य एसोसिएशन से जुड़ा भी हो सकता है. इस अपील को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है. अब अगर कोई अधिकारी बीसीसीआई में एक पद पर लगातार दो कार्यकाल पूरे करता है, तब उसे 3 साल का कूलिंग पीरियड रखना होगा. जबकि राज्य एसोसिएशन में यह कूलिंग पीरियड दो साल का होगा.

क्या है बीसीसीआई का यह मामला?

साल 2018 में लागू हुए बीसीसीआई के संविधान में यह नियम था कि किसी भी अधिकारी को तीन साल का कूलिंग ऑफ पीरियड पूरा करना होगा, जिसने राज्य या बीसीसीआई लेवल पर अपने दो कार्यकाल पूरे किए हों. ऐसे में 6 साल पूरे होने पर वह व्यक्ति खुद ही चुनाव की रेस से पूरी तरह बाहर हो जाएगा.

बीसीसीआई द्वारा सुप्रीम कोर्ट में जो याचिका दायर की गई थी, उसमें अपील की गई थी कि इस नियम में बदलाव की इजाजत दी जाए. बीसीसीआई ने अपनी याचिका में कहा था कि कूलिंग ऑफ पीरियड जैसी चीज़ को रद्द कर दिया जाए, सचिव के हाथ में अधिक शक्ति हों और आगे अगर बोर्ड को संविधान में बदलाव करना हो तो उसे अदालत के पास ना आना पड़े.

बुधवार को सुनवाई के दौरान अदालत ने इस मामले में कहा कि प्रथम दृष्टया हमारा मानना है कि राज्य एसोसिएशन में एक कार्यकाल (3 साल) के बाद BCCI में एक कार्यकाल के लिए कोई कूलिंग ऑफ अवधि की आवश्यकता नहीं है. लेकिन राज्य एसोसिएशन या बीसीसीआई में दो कार्यकाल के बाद कूलिंग ऑफ को रखना होगा. उस व्यक्ति में कोई समस्या नहीं है जिसने राज्य में या बीसीसीआई में लगातार 3 साल के दो कार्यकाल बिताए हों.