रायपुर। झीरम घाटी हत्याकांड जांच रिपोर्ट मामले में सीएम भूपेश बघेल ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि न्यायिक जांच की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं होगी. रिपोर्ट अधूरी है इसलिए सार्वजनिक नहीं होगी. बता दें कि राज्य सरकार ने झीरम घाटी नक्सली हमले की जांच करने के लिए जांच आयोग में नए अध्यक्ष समेत दो सदस्यों की नियुक्ति की है.
इस दौरान उन्होंने पूर्व सीएम रमन के बयान पर पलटवार किया. सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि न्यायालय का कौन सा अपमान हुआ. आयोग था, जिसे रमन सिंह की तत्कालीन सरकार ने गठित किया. 20 बार जिसका कार्यकाल बढ़ाया गया. जून के महीने में अंतिम अवसर दिया गया. सितंबर में कहते हैं कि जांच कंप्लीट नहीं हुई. इसी दौरान जस्टिस का आंध्र प्रदेश स्थानांतरण हुआ. इसके बाद मैंने विधि विभाग से अभिमत लिया. इस बीच रिपोर्ट राजभवन में दे दिया गया.
आज जानकारी मिली अधूरी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी गई है. रमन सिंह बताएं इसमें न्यायालय की अवमानना कहां हो गई, क्योंकि आयोग की रिपोर्ट पूरी होती, तो राज्य सरकार द्वारा विधानसभा में रखा जाता. जांच पूरी करने के लिए 2 सदस्य टीम का गठन किया गया है.
वहीं रिपोर्ट सार्वजनिक करने पर बघेल बोले अधूरी रिपोर्ट है कैसे सार्वजनिक करेंगे. आयोग के सचिव ने लिखा जांच पूरी नहीं है, तो किस के बात को मानेंगे. जो रिपोर्ट सौंपी गई है, वह या आयोग के सचिव द्वारा जो लिखा गया. हमने उसी आधार पर कदम उठाया. विधि विभाग के अभिमत के बाद 2 सदस्य कमेटी बनाई गई है.
इसके पहले सीएम भूपेश बघेल ने कहा था कि केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि भारत सरकार किस तथ्य को छिपाना चाहती है, गवाही के लिए कुछ लोगों को बुलाया गया, कुछ ने गवाही नहीं दी, वे षड्यंत्र पर जांच क्यों नहीं कर रहे ?. क्या नाम पूछ-पूछ कर मारा गया, क्या ये राजनीतिक षड्यंत्र हैं?.
हमने आयोग को कई बिंदुओं पर पत्र लिखा है कि स्वर्गीय नंद कुमार को सुरक्षा व्यवस्था क्यों नहीं दी गई?, महेंद्र कर्मा को सुरक्षा व्यवस्था क्यों नहीं दी गई?. इन सब मुद्दों की जांच होनी चाहिए. इससे पहले कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम भी इस मामले में सवाल उठा चुके हैं.
BIG BREAKING : झीरम घाटी न्यायिक जांच आयोग में दो नए सदस्य शामिल, राज्य सरकार ने लिया फैसला
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र की झीरम घाटी में 25 मई 2013 को नक्सलियों ने कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हमला कर दिया था. इस हमले में कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार पटेल, पूर्व नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा और पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल समेत 29 लोगों की मौत हो गई थी.
झीरम घाटी नक्सली हमले के बाद बीजेपी की सरकार ने उच्च न्यायालय के न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा की अध्यक्षता में जांच आयोग का गठन किया था. आयोग ने इस महीने की छह तारीख को जांच रिपोर्ट राज्यपाल अनुसुईया उइके को सौंप दिया था. न्यायाधीश मिश्रा वर्तमान में आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश हैं. जांच आयोग की रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपे जाने को लेकर राज्य सरकार ने इस पर असंतोष जताते हुए इसे स्थापित परंपरा के विपरीत बताया था.
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