रायपुर- झीरम घाटी कांड मामले पर न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट सीधे राज्यपाल को सौंपे जाने के मामले में स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने आयोग के अध्यक्ष रहे प्रशांत कुमार मिश्रा पर सवाल उठाया है. उन्होंने अपने एक बयान में कहा कि क्या कारण है कि जांच रिपोर्ट सरकार को ना सौंपकर आयोग ने राज्यपाल को सौंप दिया. उन्होंने आगे कहा, आयोग के अध्यक्ष रमन सरकार में एडवोकेट जनरल रह चुके हैं. कहीं इसके पीछे कोई और बात तो नहीं है. आज वह आंध्र प्रदेश के चीफ जस्टिस बन गए हैं. सरकार को बाॅयपास कर रिपोर्ट राज्यपाल को क्यों दी गई है, ये सवाल है.

सिंहदेव ने कहा कि जांच में कॉन्सपिरेसी जैसे पहलू को शामिल नहीं किया गया था. तत्कालीन गृह मंत्री अजय चंद्राकर ने विधानसभा में सीबीआई जांच का आश्वासन दिया था. सीबीआई जांच की मांग उन बिंदुओं को लेकर थी, जिसे एनआईए जांच में शामिल नहीं किया गया था. अब न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट का राजनीतिकरण ना होने पाए. इसलिए सरकार ने दो सदस्यीय आय़ोग बनाया है.
सिंहदेव ने कहा कि हम झीरम कांड की घटना को भूल नहीं सकते. ये सामान्य नक्सल घटना नहीं थी. ये हत्याकांड था. मैं खुद उस यात्रा में शामिल था. तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल ने मुझे यात्रा प्रभारी बनाया था. मुझे मालूम है, उस वक्त हमने कौन सा रूट चुना था. लेकिन अखबार में यह खबर प्लांट कराई गई कि कांग्रेस ने रूट बदल दिया था. जो बातें षडयंत्र के दायरे में आनी चाहिए थी, उस पर जांच नहीं हुई. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि जिस रूट से हम गुजरे वहां हमे सुरक्षा नहीं दी गई. पुलिस का एक भी आदमी तैनात नहीं था.