कुंदन कुमार/ पटना। बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोम) 8 जून को मुजफ्फरपुर में एक बड़ी महा रैली का आयोजन करने जा रही है। पार्टी के सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा खुद इस रैली का उद्घाटन करेंगे। प्रदेश महासचिव राम पुकार सिंहा ने बताया कि इस महा रैली में तेरह जिलों से बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता शामिल होंगे। रैली की तैयारियों के लिए विभिन्न जिलों में प्रभारी मनोनीत किए गए हैं।
परिसीमन में सुधार की मांग
मुजफ्फरपुर को उत्तर बिहार का केंद्र माना जाता है और इसी वजह से राष्ट्रीय लोक मोर्चा ने इसे अपनी महा रैली के लिए चुना है। इस रैली का मुख्य उद्देश्य बिहार में लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों के संवैधानिक अधिकार के तहत परिसीमन में सुधार की मांग को मजबूती से उठाना है। उपेंद्र कुशवाहा का मानना है कि बिहार में विधानसभा और लोकसभा सीटों का परिसीमन कई साल पहले हुआ था, और तब से मतदाताओं की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। इसलिए, चुनाव आयोग को इस परिसीमन में सुधार करने की आवश्यकता है।
देना चाहता है संदेश
रैली के माध्यम से राष्ट्रीय लोक मोर्चा यह संदेश देना चाहता है कि बिहार में सीटों के परिसीमन को उचित और निष्पक्ष बनाने की आवश्यकता है, ताकि लोकतंत्र की वास्तविक भावना को आगे बढ़ाया जा सके। उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी वर्तमान में एनडीए गठबंधन का हिस्सा है, लेकिन वे कई राजनीतिक मुद्दों पर स्वतंत्र राय भी व्यक्त करते रहे हैं। इस महा रैली को लेकर पार्टी ने क्षेत्रीय नेतृत्व को सक्रिय किया है, ताकि कार्यक्रम प्रभावी और सफल हो सके। पार्टी की योजना है कि यह रैली मतदाताओं के बीच संवैधानिक अधिकारों और चुनाव संबंधी विषयों को लेकर जागरूकता बढ़ाने का काम करे।
एक नया राजनीतिक रंग भरने वाली
राष्ट्रीय लोक मोर्चा की यह पहल बिहार के चुनावी माहौल में एक नया राजनीतिक रंग भरने वाली है। विधानसभा और लोकसभा परिसीमन सुधार के मुद्दे पर पार्टी का यह अभियान प्रदेश में राजनीतिक दलों के बीच नई बहस को जन्म दे सकता है अगले विधानसभा चुनाव को लेकर यह महा रैली उपेंद्र कुशवाहा और उनकी पार्टी के राजनीतिक इरादों को स्पष्ट रूप से दर्शाएगी। साथ ही यह रैली बिहार की राजनीति में स्थानीय स्तर पर पार्टी की पकड़ मजबूत करने का अवसर भी साबित होगी।
एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती
मुजफ्फरपुर में आयोजित होने वाली यह संवैधानिक अधिकार परिसीमन सुधार महा रैली राजनीतिक गतिविधियों के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है, जो आने वाले चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन को प्रभावित कर सकती है
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