नई दिल्ली। बिहार विधानसभा के लिए चुनाव प्रचार अपने चरम पर है. तीन चरणों में होने वाले चुनाव में पहले चरण में 28 अक्टूबर को 71 विधानसभा सीटों के लिए मतदान होगा. इन 71 सीटों पर ताल ठोक रहे 1066 प्रत्याशियों में से 23 प्रतिशत उम्मीदवारों के खिलाफ हत्या, हत्या का प्रयास और दुष्कर्म जैसे गंभीर आरोप हैं.

नीतीश कुमार की अगुवाई में जहां राजग गठबंधन अपनी ताल ठोक रहा है, तो वहीं दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव की अगुवाई वाला महागठबंधन भी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहा है. रही-सही कसर पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र सिंह कुशवाहा की अगुवाई वाला गठबंधन पूरा कर रहा है. चुनाव प्रचार के दौरान नेताओं द्वारा एक-दूसरे पर लगाए जा रहे आरोप-प्रत्यारोप के बीच एक बात की चर्चा कोई भी दल या गठबंधन नहीं कर रहा है, वह है चुनाव के अपराधीकरण का. तमाम कवायदों और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद भी बिहार में अपराधिक प्रवृति वाले प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारने से किसी भी दल या गठबंधन ने पहरेज नहीं किया है.

31 प्रतिशत प्रत्याशियों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण

बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में अपनी किस्मत आजमा रहे 1066 प्रत्याशियों में से 1064 प्रत्याशियों की घोषणाओं की स्वयंसेवी संगठन एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (ADR) ने अध्ययन करने के बाद आंकड़े प्रकाशित किए हैं. प्रत्याशियों के द्वारा स्वयं जमा किए गए घोषणा पत्रों के अनुसार, 1064 प्रत्याशियों में से 328 (31 प्रतिशत) प्रत्याशियों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज हैं, वहीं इनमें से 244 (23 प्रतिशत) प्रत्याशियों के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास और दुष्कर्म जैसे गंभीर आपराधिक प्रकरण दर्ज हैं.

राष्ट्रीय दलों में मिल रही है पनाह

आपराधिक प्रवृति के प्रत्याशियों को उतारने में कोई भी राजनीतिक दल पीछे नहीं है, लेकिन इनमें सबसे आगे तेजस्वी यादव (लालू यादव) की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनता दल (राजद) है, जिसके 41 प्रत्याशियों में से 30 (73 प्रतिशत) के खिलाफ आपराधिक मामले और इनमें से 22 (54 प्रतिशत) के खिलाफ गंभीर आपराधिक प्रकरण दर्ज हैं. इसके बाद केंद्र में राजग का हिस्सा और बिहार में अलग चुनाव लड़ रही लोकतांत्रिक जनता पार्टी (लोजपा) का नंबर आता है, जिसके 41 प्रत्याशियों में से 24 (59 प्रतिशत) के खिलाफ आपराधिक और इनमें से 20 (49 प्रतिशत) के खिलाफ गंभीर आपराधिक प्रकरण हैं.

दलों की भी मजबूरी अपराधी है जरूरी

वहीं पहले चरण के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 29 प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं, जिनमें से 21 (72 प्रतिशत) के खिलाफ आपराधिक और 13 (45 प्रतिशत) के खिलाफ गंभीर आपराधिक प्रकरण दर्ज है. सुशासन बाबू याने नीतीश कुमार की अगुवाई वाली जनता दल यूनाईटेड (जदयू) ने मैदान में 35 प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं, जिनमें से 15 (43 प्रतिशत) के खिलाफ आपराधिक तो 10 (29 प्रतिशत) के खिलाफ गंभीर आपराधिक प्रकरण दर्ज है. कांग्रेस ने मैदान में 21 प्रत्याशी उतारे हैं, जिनमें से 12 (57 प्रतिशत) के खिलाफ आपराधिक तो 9 (43 प्रतिशत) के खिलाफ गंभीर आपराधिक प्रकरण दर्ज हैं.