पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए और महागठबंधन ने चुनावी प्रचार के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। इस बार बिहार में दो चरणों में चुनाव होंगे पहला चरण 6 नवंबर और दूसरा चरण 11 नवंबर को। मतगणना 14 नवंबर को की जाएगी।विशेष रूप से पहले चरण की तीन विधानसभा सीटें परबत्ता, अलौली और भोरे सियासी दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं। इन सीटों पर सबसे कम 5-5 उम्मीदवार मैदान में हैं और कोई भी निर्दलीय प्रत्याशी नहीं है, जिससे मुकाबला और भी रोचक बन गया है।
परबत्ता: जेडीयू से आरजेडी को चुनौती
खगड़िया जिले की परबत्ता सीट पर 2015 से जेडीयू का कब्जा रहा है, लेकिन इस बार यह सीट चिराग पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति (LJP) के खाते में गई है। इस सीट पर जेडीयू के पूर्व विधायक संजीव कुमार ने आरजेडी का दामन थामा और आरजेडी ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया।
इस बार परबत्ता में कुल पाँच उम्मीदवार हैं:
LJP(R) – बाबू लाल शौर्य, RJD – डॉ. संजीव कुमार, JSP – विनय के वरुण, BSP – रॉबिन स्मिथ, RJP – नरेश प्रसाद सिंह निर्दलीय उम्मीदवार न होने से चुनाव सीधे गठबंधन बनाम गठबंधन के बीच होने वाला है।
अलौली: आरजेडी की मजबूत पकड़
खगड़िया जिले की दूसरी महत्वपूर्ण सीट अलौली अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है। 2015 और 2020 में आरजेडी ने यहां जीत दर्ज की थी। इस बार आरजेडी और जेडीयू के बीच सीधा मुकाबला है।
अलौली में उम्मीदवार हैं:
RJD – रामवृक्ष सदा, JDU – राम चंद्र सदा, RLJP – यशराज पासवान, JSP – अभिशंक कुमार, BSP – दशरथ राम आरजेडी की मजबूत स्थिति और पिछले चुनाव में मिली सफलता इसे महागठबंधन की नजर में अहम बनाती है।
भोरे: जेडीयू बनाम सीपीआई (एमएल)
गोपालगंज जिले की भोरे सीट भी अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है। यहां से कुल पांच उम्मीदवार मैदान में हैं और कोई भी निर्दलीय नहीं है।
भोरे में उम्मीदवार हैं:
BSP – सुरेंद्र कुमार राम, JDU – सुनील कुमार, CPI(ML)L – धनंजय, JSP – प्रीति किन्नर, AAP – धर्मेंद्र कुमार 2015 में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी, जबकि 2020 में यह सीट जेडीयू के पास थी। इस बार महागठबंधन की तरफ से सीपीआई(एमएल) चुनाव लड़ रही है, जिससे यह सीट भी रोमांचक मुकाबले वाली मानी जा रही है।
पहले चरण का चुनावी माहौल
इन तीनों सीटों पर मुकाबला बेहद दिलचस्प है। दोनों गठबंधन अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ पूरे दमखम के साथ प्रचार कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि निर्दलीय उम्मीदवार न होने और दोनों गठबंधन के मजबूत प्रत्याशियों के कारण इन सीटों पर चुनावी परिणाम सीधे जनता की पसंद पर निर्भर करेंगे। परबत्ता, अलौली और भोरे विधानसभा सीटों के परिणाम पूरे पहले चरण के रुझानों को प्रभावित कर सकते हैं। दोनों गठबंधन अब इन तीनों सीटों पर पूरी ताकत झोंक चुके हैं और सभी की निगाहें इन सीटों पर टिकी हुई हैं।
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