पटना। उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपनी मजबूत पहचान बनाने वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अब बिहार में अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिशों में जुट गई है। पार्टी ने 10 से 19 सितंबर तक सर्वजन हिताय जागरूक यात्रा निकालने की घोषणा की है जिसका उद्देश्य बिहार में पार्टी की सियासी जमीन तैयार करना है। इस यात्रा का आयोजन बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले पार्टी के समर्थन को बढ़ाने के लिए किया जा रहा है।

यात्रा की शुरुआत और मार्ग

बसपा की इस जागरूकता यात्रा की शुरुआत कैमूर से होगी और यह यात्रा छपरा, सीवान, गोपालगंज बेतिया, मोतिहारी और मुजफ्फरपुर होते हुए वैशाली में समाप्त होगी। यात्रा के दौरान पार्टी के नए राष्ट्रीय मुख्य समन्वयक और बसपा सुप्रीमो मायावती के भतीजे आकाश आनंद भी यात्रा में शामिल होंगे। इस यात्रा में बसपा के कई बड़े नेता भी साथ होंगे जो पार्टी का संदेश आम जनता तक पहुंचाने का काम करेंगे।

आकाश आनंद की नेतृत्व में पहली परीक्षा

बसपा में आकाश आनंद का प्रवेश पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। पार्टी सुप्रीमो मायावती ने उन्हें बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों के लिए पूरी छूट दी है। यह आकाश आनंद के लिए पहली बड़ी परीक्षा होगी क्योंकि वह सीधे मायावती को रिपोर्ट करेंगे। उनके नेतृत्व में यह यात्रा पार्टी के बिहार में विस्तार के उद्देश्य से महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।

विधानसभा चुनाव में बसपा की रणनीति

बसपा ने साफ कर दिया है कि वह 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में सभी 243 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। 2020 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को बिहार में केवल एक सीट मिली थी लेकिन इस बार पार्टी ने अपनी पूरी ताकत चुनाव में झोंकने का निर्णय लिया है। इसके तहत जनसंपर्क यात्रा भी निकाली जाएगी ताकि पार्टी का संदेश हर घर तक पहुंच सके।

परिदृश्य में बदलाव की उम्मीद

बसपा का मानना है कि बिहार में जनता एनडीए और महागठबंधन से थक चुकी है, और अब उसे एक नए विकल्प की जरूरत है। पार्टी महासचिव डॉ. विजयेश कुमार सिंह ने कहा कि बिहार के लोग अब बदलाव चाहते हैं और बसपा उनके सामने एक मजबूत विकल्प है। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी अकेले चुनाव में उतरने के लिए पूरी तरह तैयार है और इसके लिए पार्टी ने जनसंपर्क यात्रा शुरू कर दी है।

उम्मीदों से भरा भविष्य

बसपा की बिहार यात्रा न केवल पार्टी के लिए एक चुनावी रणनीति है, बल्कि यह आने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी की स्थिति को लेकर भी अहम है। यदि यह यात्रा सफल होती है तो बसपा को बिहार की राजनीति में अपनी पहचान बनाने में मदद मिल सकती है और यूपी विधानसभा चुनाव 2027 में भी इसका असर दिख सकता है। बिहार में पार्टी की सक्रियता आने वाले समय में राज्य की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकती है।

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