कुंदन कुमार, पटना। बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राजेश राम ने आज सोमवार (8 सितंबर) को गांव और शहर दोनों के नारकीय जीवन पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि “2005 से NDA की सरकार और 2015 से नीतीश और मोदी की सरकार लगातार बिहार पर राज कर रहे हैं, लेकिन बीस साल के लंबे शासन के बाद भी जनता को विकास नहीं, बल्कि धोखा मिला है। स्मार्ट सिटी का सपना दिखाकर लोगों को गड्ढा सिटी और धोखा सिटी सौंप दिया गया है।”
राजधानी की हालत देख रोते हैं लोग
राजेश राम ने कहा कि, “सरकार ने जनता को सपना दिखाया था कि पटना समेत बिहार के प्रमुख शहर स्मार्ट सिटी बनेंगे। वादा किया गया था कि सड़कों से लेकर बिजली-पानी तक सब विश्वस्तरीय होगा, ट्रैफिक और सीवरेज ऑटोमैटिक सिस्टम से चलेगा और लोग गर्व से कहेंगे कि यह है बिहार की स्मार्ट सिटी। लेकिन बीस साल में हकीकत यह है कि हल्की बारिश आते ही सड़कें तालाब बन जाती हैं और गड्ढे शहर की पहचान। एम्बुलेंस मरीज तक पहुंचने से पहले गड्ढों में अटक जाती है। राजधानी की हालत देखकर लोग हंसते नहीं, रोते हैं।”
भाजपा-जदयू के भ्रष्टाचार में डूबा विकास मॉडल
पटना के अपार्टमेंट्स को लेकर उन्होंने कहा कि, “सरकार ने इन्हें स्मार्ट लिविंग का मॉडल बताया था, लेकिन असलियत यह है कि आधे-अधूरे, एंठे-टेढ़े तरीके से बनाए गए इन ढांचों में लोग रोज़ परेशानी झेल रहे हैं। इमारतें खड़ी तो कर दी जाती हैं, पर अंदर की ज़रूरतों और सुविधाओं पर कोई ध्यान नहीं। नतीजा यह है कि लोग वहां रहने से ज्यादा परेशानियों का सामना करते हैं। यह स्मार्ट लिविंग नहीं, जनता के साथ खिलवाड़ है।”
सीवरेज और ट्रैफिक पर उन्होंने कहा कि, “गंगा फ्रंट और सीवरेज प्रोजेक्ट्स पर करोड़ों खर्च दिखाए गए। लेकिन गंगा किनारे आज भी अधूरा निर्माण और गंदगी पसरी है। नाले बरसात में ओवरफ्लो होकर गलियों और घरों तक गंदगी पहुंचा देते हैं। करोड़ों के ट्रैफिक सिग्नल्स और इंटेलिजेंट सिस्टम के दावे सिर्फ़ फाइलों में हैं। जमीनी हकीकत यह है कि पटना का हर चौराहा घंटों के जाम से त्रस्त है। यह स्मार्ट नहीं, जनता की सहनशीलता की कड़ी परीक्षा है।”
रोज़गार के मुद्दे पर राजेश राम ने कहा कि “स्मार्ट सिटी का सबसे बड़ा वादा था कि निवेश आएगा और युवाओं को अपने ही राज्य में रोजगार मिलेगा। लेकिन हुआ उल्टा। बिहार का युवा आज भी दिल्ली-मुंबई की ट्रेनों में खड़ा है। रोजगार की बजाय पलायन को स्मार्ट बना दिया गया है। बीस साल की सरकार ने नौजवान को सिर्फ़ टिकट रिज़र्वेशन दिया है, नौकरी का अपॉइंटमेंट लेटर नहीं।”
गुजरात के धोलेरा प्रोजेक्ट का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि “वहां दो गुजराती भाई मिलकर भ्रष्टाचार से अपना भविष्य का बना रहे हैं। । वहीं बिहार में स्मार्ट सिटी मिशन का हाल यह है कि कागज़ पर टेंडर, जमीन पर गड्ढे। जनता को सिर्फ़ धूल और जाम मिले हैं। यही है भाजपा-जदयू का भ्रष्टाचार में डूबा विकास मॉडल।”
उन्होंने तीखा व्यंग्य किया कि, “गुजरात को मिला धोलेरा और बिहार को मिला धो-ले-रा। यहां जनता को सिर्फ़ धो लिया गया, लूटा गया और फिर राम-राम कर दिया गया। स्मार्ट सिटी का नाम लेकर बीस साल में न सड़क सुधरी, न सीवरेज दुरुस्त हुआ, न ट्रैफिक आसान हुआ और न युवाओं को रोजगार मिला। यह स्मार्ट सिटी नहीं, धोखा सिटी है।”
राजेश राम ने कहा कि, “आज पटना स्मार्ट सिटी लिमिटेड का दफ्तर एयर कंडीशनर से चमकता है, लेकिन शहर बदबू और गड्ढों में डूबा है। मंत्री और मुख्यमंत्री रिबन काटते हैं, जनता हर दिन जाम और नाले में फंसती है। बीस साल से यही स्क्रिप्ट दोहराई जा रही है।”
अंत में उन्होंने कहा कि “स्मार्ट सिटी तब बनेगी जब एम्बुलेंस समय पर पहुंचे, जब सड़कों पर गड्ढे न हों, जब हर घर में 24 घंटे पानी और बिजली मिले और जब युवाओं को अपने राज्य में सम्मानजनक नौकरी मिले। बीस साल की भाजपा-जदयू सरकार ने बिहार को स्मार्ट नहीं, धोखा दिया है। जनता अब हिसाब मांग रही है और यह हिसाब उन्हें देना ही होगा।”
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