नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में नियोजित (कांट्रेक्ट) पर काम कर रहे करीबन सवा तीन लाख शिक्षकों को तगड़ा झटका देते हुए पटना हाईकोर्ट के समान काम समान वेतन के तहत नियमित शिक्षकों के बराबर वेतन देने के फैसला को पलट दिया है.

बता दें कि कांट्रेक्ट पर काम कर रहे शिक्षकों के पक्ष में पटना हाईकोर्ट के फैसले के विरोध में बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर जस्टिस अभय मनोहर सप्रे और जस्टिस उदय उमेश ललित की खंडपीठ ने अंतिम सुनवाई पिछले साल तीन अक्तूबर को करने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था. मामले में कोर्ट ने शुक्रवार को फैसला सुनाते हुए नियोजित शिक्षकों को समान वेतन देने से इनकार कर दिया है.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से कांट्रेक्ट शिक्षकों को निराशा हाथ लगी है. फैसले के इंतजार में कांट्रेक्ट शिक्षकों से जुड़े संघ के नेता बीते कई दिनों से दिल्ली में डेरा डाले बैठे थे. मामले में केंद्र सरकार को भी शामिल करने को कोशिश की गई थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट में अटार्नी जनरल ने केंद्र सरकार की शिक्षकों की नियुक्ति में कोई भूमिका नहीं होने की बात कहते हुए स्पष्ट किया था कि नियमित शिक्षकों की नियुक्ति एक ओर बीपीएससी के जरिए हुई है, वहीं कांट्रेक्ट शिक्षकों की नियुक्ति पंचायती राज संस्था के जरिए हुई है. इस आधार पर इन्हें समान वेतन नहीं दिया जा सकता है.