Bihar Defence Corridor: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एक शब्द काफी चलन में था। पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) अपनी सभी जनसभाओं में बार-बार इस शब्द का जिक्र करते थे। ये शब्द था- ‘कट्टा’ (KATTA)। जी हां… कट्टा और देशी बंदूकें एक समय बिहार की पहचान मानी जाती थी। हालांकि राज्य में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और बीजेपी की सरकार आने के बाद इसपर काफी हद तक लगाम भी लगा। बिहार में अब कट्टा युग समाप्त हो गया है। राज्य देसी बंदूकों की जगह मिसाइल और तोप बनाने के लिए तैयार है। जी हां… Bihar के गोला-बारूद से अब दुश्मन देश पाकिस्तान दहलेगा।
‘ 25 नवंबर को नीतीश सरकार ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक में डिफेंस कॉरिडोर और सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग पार्क बनाने के लिए कमेटी गठित करने की मंजूरी दी है। चलिए जानते हैं कि डिफेंस कॉरिडोर-सेमीकंडक्टर से ‘बिहारियों की तस्वीर और तकदीर’ कैसे बदलेगीः-

डिफेंस कॉरिडोर पर नजर
बिहार में जल्द ही डिफेंस कॉरिडोर बनेगा। इसमें बारूद, तोप के गोले, AK-203 राइफल, ड्रोन, बुलेटप्रूफ जैकेट बनेंगे। गया, नालंदा, रोहतास, औरंगाबाद जैसे जिलों में बड़े प्लांट आएंगे। 5-7 लाख सीधी नौकरियां मिलेंगी। यह पूर्वी भारत को टेक्नोलॉजी हब बनाने की दिशा में भी एक बड़ा कदम है।
डिफेंस कॉरिडोर एक रूट होगा, जिसमें कई शहर शामिल होंगे। इन शहरों में सेना के काम में आने वाले सामान के निर्माण के लिए इंडस्ट्री लगाई जाएगी, जिसमें कई कंपनियां हिस्सा लेंगी। इस कॉरिडोर में पब्लिक सेक्टर मने सरकारी, प्राइवेट सेक्टर और MSAE कंपनियां हिस्सा लेंगी। इस कॉरिडोर में वो सभी औद्योगिक संस्थान भी भाग लेंगे, जो सेना के सामान बनाते हैं। कॉरिडोर बनने के बाद यहां हथियारों से लेकर वर्दी तक बनाए जाएंगे। इस कॉरिडोर के तहत लगी फैक्ट्रियों में हल्के एयरक्राफ्ट, तोप, AK-47, कार्बाइन, पिस्टल, ड्रोन और स्नाइपर राइफल जैसे हथियार बनेंगे।
मुख्य परियोजनाएं और सुविधाएं जो बनेंगी
विस्फोटक (Explosives) उत्पादन इकाइयां: कॉरिडोर में विस्फोटक बनाने वाली फैक्ट्रियां स्थापित होंगी, जो पाकिस्तान, चीन समेत देश के सभी सीमाओं पर सैन्य अभियानों में इस्तेमाल होंगी। यह रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ाने का हिस्सा है।
जिला-स्तरीय फैक्ट्रियां और औद्योगिक पार्क: हर जिले में रक्षा-संबंधी फैक्ट्रियां, MSME (माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज) पार्क और औद्योगिक पार्क बनाए जाएंगे। इससे स्थानीय रोजगार को बढ़ावा मिलेगा।
सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग पार्क: डिफेंस कॉरिडोर के हिस्से के रूप में चिप और इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के लिए पार्क विकसित होगा, जो रक्षा उपकरणों के लिए महत्वपूर्ण है।
ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (Global Capability Centres): अंतरराष्ट्रीय स्तर के रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर्स, जो डिफेंस टेक्नोलॉजी पर फोकस करेंगे।
मेगा टेक सिटी और फिनटेक सिटी: डिफेंस कॉरिडोर को टेक्नोलॉजी हब से जोड़ते हुए मेगा टेक सिटी (बड़े पैमाने पर आईटी और इनोवेशन हब) और फिनटेक सिटी (फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी केंद्र) बनेंगी. इससे डिफेंस के साथ-साथ आईटी और फाइनेंस सेक्टर को बूस्ट मिलेगा।

अगले 5 वर्षों में 1 करोड़ नौकरियां पैदा होंगी
यह कॉरिडोर बिहार को पूर्वी भारत का नया टेक्नोलॉजी हब बनाने का लक्ष्य रखता है, जिसमें अगले 5 वर्षों में 1 करोड़ नौकरियां पैदा करने की योजना है। केवल डिफेंस कॉरिडोर से ही 5-7 लाख सीधी नौकरियां और 20-25 लाख अप्रत्यक्ष नौकरियां आएंगी। इंजीनियर, टेक्नीशियन, मजदूर, सिक्योरिटी गार्ड, ड्राइवर सबको काम मिलेगा।

कहां-कहां बनेगा कॉरिडोर?
पहले चरण में 5-8 जिलों में बड़े प्लांट बनेंगे, बाद में पूरे 38 जिलों में फैक्ट्रियां आएंगी।
- राजगीर (नालंदा) – पहले से स्वीकृत बहुत बड़ी ऑर्डनेंस फैक्ट्री (155mm के बड़े-बड़े गोले बनेंगे)
- गया – विस्फोटक (बारूद) बनाने का बहुत बड़ा प्लांट
- औरंगाबाद – हथियार और गोला-बारूद की फैक्ट्री
- रोहतास (सासाराम-डेहरी ऑन सोन) – हथियारों का बहुत बड़ा हब
- बक्सर – नया ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड का प्लांट
- भोजपुर (आरा) – छोटे हथियार और पार्ट्स
- वैशाली, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, शिवहर – ड्रोन और इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स
- पटना के पास बिहटा – नया एयरपोर्ट और डिफेंस टाउनशिप
- 155mm तोप के गोले (नालंदा-राजगीर में)
- 105mm, 130mm तोप के गोले
- AK-203 राइफल (कलाश्निकोव की नई वाली)
- इंसास राइफल और कार्बाइन
- बुलेट प्रूफ जैकेट, हेलमेट
- हैंड ग्रेनेड, रॉकेट लॉन्चर के पार्ट्स
बारूद और विस्फोटक
- TNT, RDX जैसे बड़े विस्फोटक (गया और औरंगाबाद में)
- रॉकेट और मिसाइल में भरने वाला प्रोपेलेंट (ईंधन)

सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग पार्क
ये प्रोजेक्ट ‘मेक इन इंडिया’ और ‘डिजिटल इंडिया’ को बूस्ट करेगा। देश के साथ-साथ बिहार अब चिप्स का यूजर नहीं, बल्कि मैन्युफैक्चरर भी बनेगा। यह पार्क बिहार को दूसरे देश ताइवान, साउथ कोरिया जैसे देशों की कतार में लाएगा, जो ग्लोबल चिप मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में बढ़े प्लेयर्स हैं। लोकल प्रोडक्शन से चिप्स सस्ते हो सकते हैं, जिससे फोन, लैपटॉप और कारें भी अफोर्डेबल हो सकती हैं।
कब तक तैयार होगा?
- 2025 के अंत तक प्लान और जमीन पूरी तरह तय
- 2026 से बड़े प्लांट का निर्माण शुरू
- 2028-2030 तक ज्यादातर फैक्ट्रियां चलने लगेंगी
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