पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। एक ओर जहां महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर बातचीत अब तक निर्णायक मोड़ पर नहीं पहुंची है वहीं कांग्रेस ने अपने स्तर पर तैयारी तेज कर दी है। पार्टी आज अपने फाइनल किए गए उम्मीदवारों को चुनाव चिन्ह (सिंबल) दे सकती है। इसके लिए दिल्ली में दो दिन चली मैराथन बैठक के बाद कांग्रेस के प्रदेश नेता अब पटना लौट रहे हैं। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस ने अब तक कुल 50 सीटों पर उम्मीदवारों के नामों पर मुहर लगा दी है। इन नामों की औपचारिक घोषणा आज की जा सकती है। इसके अलावा 25 और सीटों पर उम्मीदवारों के नाम पर केंद्रीय चुनाव समिति (CEC) ने अंतिम सहमति दे दी है। इस तरह पार्टी ने अब तक कुल 75 सीटों पर उम्मीदवारों का चयन कर लिया है। कुछ सीटों पर पिछली CEC बैठक में फाइनल किए गए 25 नामों में से 6-7 पर दोबारा चर्चा कर सहमति बनाई गई।

फ्रेंडली फाइट की संभावना

महागठबंधन के भीतर कई सीटों पर अब तक आम सहमति नहीं बन पाई है। ऐसे में कांग्रेस कुछ सीटों पर फ्रेंडली फाइट यानी सहयोगी दलों के खिलाफ दोस्ताना मुकाबले के लिए तैयार हो सकती है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि इस बार कांग्रेस क्वालिटी सीटों और कैंडिडेट्स पर किसी भी तरह का समझौता नहीं करना चाहती।

राहुल गांधी ने दिया सुपर स्क्रीनिंग कमेटी का सुझाव

मंगलवार को दिल्ली में हुई CEC बैठक की अध्यक्षता कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने की। बैठक में केसी वेणुगोपाल, अजय माकन, अधीर रंजन चौधरी, शकील अहमद खान, राजेश राम और कृष्ण अल्लावरू जैसे दिग्गज नेता शामिल हुए। राहुल गांधी इस बैठक में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शामिल हुए। उन्होंने सुझाव दिया कि जहां दो से तीन उम्मीदवारों के नामों पर असमंजस है, वहां एक सुपर स्क्रीनिंग कमेटी बनाकर अंतिम निर्णय लिया जाए, जिससे कैंडिडेट चयन में पारदर्शिता और संतुलन बना रहे।

जल्द होगी सूची जारी

CEC बैठक के बाद बिहार कांग्रेस प्रमुख राजेश राम ने मीडिया से बात करते हुए कहा कांग्रेस पार्टी जिन विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है, उनमें से अधिकांश पर उम्मीदवार तय कर लिए गए हैं। हम जल्द ही उनकी सूची सार्वजनिक करेंगे। इस बार हम पूरी गंभीरता और रणनीति के साथ चुनाव में उतर रहे हैं।

बिहार चुनाव में कांग्रेस की स्थिति

बिहार में महागठबंधन (I.N.D.I.A. गठबंधन) में कांग्रेस, RJD, वाम दल और कुछ छोटे दल शामिल हैं। हालांकि इस बार सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत पेचीदा रही है। कांग्रेस पहले से ही अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की मांग कर रही थी और अब वह उन सीटों पर अकेले उतरने के लिए भी तैयार दिख रही है जहां सहमति नहीं बन पा रही। गौरतलब है कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 70 सीटें मिली थीं जिनमें से उसने केवल 19 पर जीत दर्ज की थी। इस बार पार्टी न केवल प्रदर्शन सुधारने की कोशिश में है बल्कि गठबंधन में भी अधिक प्रभावी भूमिका चाहती है।