सुपौल। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले नीतीश कुमार सरकार के मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव का एक बयान सियासी गलियारों में बवाल मचा रहा है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में मंत्री कहते नजर आ रहे हैं जो वोट नहीं देगा, उसका बिजली कनेक्शन काट दिया जाएगा। हालांकि इस वीडियो की लल्लूराम.कॉम द्वारा स्वतंत्र पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन वीडियो तेजी से फैल रहा है और राजनीतिक बहस का विषय बन गया है।

जनसंपर्क के दौरान हुआ विवाद

यह मामला मरौना प्रखंड के कमरेल पंचायत के सिरखड़िया गांव का बताया जा रहा है। ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव जो इस बार सुपौल विधानसभा सीट से एनडीए समर्थित जदयू प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं, चुनाव प्रचार के दौरान वहां पहुंचे थे। ग्रामीणों ने उनसे सड़क निर्माण की मांग उठाई और कहा पहले सड़क दो, फिर वोट देंगे। इस पर मंत्री का जवाब था वोट नहीं दोगे तो बिजली काट देंगे। मंत्री के इस बयान ने न केवल गांव में, बल्कि पूरे जिले में राजनीतिक हलचल मचा दी है।

नाराज ग्रामीणों ने किया विरोध

ग्रामीणों का आरोप है कि गांव में आज तक सड़क नहीं बनी। कई बार आवेदन देने के बावजूद प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हुई। विकास कार्यों की उपेक्षा से नाराज लोगों ने मंत्री के आने पर जमकर विरोध प्रदर्शन किया। लोगों ने रोड नहीं तो वोट नहीं और विकास के झूठे वादे अब नहीं चलेंगे जैसे नारे लगाए। स्थिति इतनी बिगड़ी कि मंत्री को गांव से बाहर तक लौटना पड़ा।

सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो

इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में दर्जनों ग्रामीण मंत्री से बहस करते और नाराजगी जताते नजर आ रहे हैं। कई लोग इसे सत्ता के अहंकार से जोड़कर देख रहे हैं। विपक्षी दलों ने भी इस वीडियो को मुद्दा बनाकर एनडीए सरकार पर हमला बोलना शुरू कर दिया है।

मुफ्त बिजली वादे पर उठे सवाल

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल ही में राज्य के लोगों को 125 यूनिट बिजली मुफ्त देने की योजना शुरू की है, लेकिन अब उनके ही मंत्री का यह बयान सरकार के वादों पर सवाल खड़ा कर रहा है। लोग पूछ रहे हैं कि “क्या मुफ्त बिजली का मतलब वोट के बदले बिजली है? विपक्ष ने कहा है कि यह जनता को डराने और धमकाने की राजनीति है जबकि जदयू खेमे में इस विवाद पर फिलहाल चुप्पी है।

वायरल वीडियो ने बढ़ाई सरकार की चिंता

मरौना की यह घटना न सिर्फ स्थानीय स्तर पर बल्कि राज्य राजनीति में नई बहस को जन्म दे रही है। एक तरफ सरकार जनता को राहत देने की बात करती है, दूसरी तरफ जनता को धमकाने वाले बयान सामने आ रहे हैं। अब देखना होगा कि चुनाव आयोग और जदयू नेतृत्व इस विवाद पर क्या रुख अपनाते हैं।