कुंदन कुमार/पटना। बिहार में शराबबंदी लागू होने के बाद से सरकार की नीति पर लगातार सवाल उठते रहे हैं। अब केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी के बयान ने इस विवाद को और तेज कर दिया है। मांझी ने खुलकर कहा है कि बिहार में शराब माफियाओं को संरक्षण मिल रहा है और अधिकारी-पदाधिकारियों की मिलीभगत से अवैध शराब की बिक्री जारी है।
अमीरों को सुविधा, गरीबों पर कार्रवाई?
मांझी ने कहा महंगे दामों पर शराब अमीरों तक आसानी से पहुंचाई जा रही है जबकि गरीबों को मामूली मामलों में पकड़कर जेल भेजा जा रहा है। उनका दावा है कि शराबबंदी के नाम पर दलित, शोषित और वंचित समाज सबसे अधिक प्रताड़ित हो रहा है।
एजाज अहमद का पलटवार
इस बयान पर जेडीयू के पूर्व नेता एजाज अहमद ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि मांझी केंद्र में मंत्री हैं, उनके पुत्र बिहार में मंत्री हैं और सरकार उन्हीं के समर्थन से चल रही है। ऐसे में शिकायत किससे की जा रही है? अहमद ने चुनौती देते हुए कहा कि यदि मांझी में हिम्मत है तो वे साफ-साफ कहें कि शराबबंदी की नीति गरीबों के उत्पीड़न का माध्यम बन चुकी है और शराब माफिया को बचाने वालों पर कार्रवाई नहीं होती। यदि सरकार सुधार नहीं करती तो समर्थन वापस लेने की चेतावनी भी स्पष्ट रूप से दें।
सिर्फ बयानबाजी का आरोप
एजाज अहमद का आरोप है कि मांझी केवल बयान देकर अपनी छवि बचाने में लगे हैं जबकि एनडीए सरकार को अवैध धंधों के लिए रास्ता खुला छोड़ने वाली राजनीति से लाभ मिलता है। शराबबंदी को लेकर बढ़ते आरोपों ने एक बार फिर सरकार की मंशा और उसके क्रियान्वयन की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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