बीजापुर। जिले के भैरमगढ़ ब्लाॅक के धुर नक्सल प्रभावित ग्राम जैगुर के ग्रामीणों को अब 12 किलोमीटर की लम्बी दूरी तय कर माटवाड़ा से राशन लेने की दिक्कत से निजात मिल गई है. यह सब जिला कलेक्टर रितेश कुमार अग्रवाल की संवेदनशील पहल के फलस्वरूप भलीभूत हुआ है. जिला प्रशासन द्वारा अब दूरस्थ ग्राम जैगुर में ही उचित मूल्य दुकान प्रारंभ किया गया है, जिसका संचालन ग्राम पंचायत के द्वारा किया जा रहा है. इस राशन दुकान के खुलने से अब जैगुर के साथ ही मालेगुंडा के 241 राशन कार्डधारी हितग्राहियों को चावल, चना, शक्कर, नमक, केरोसीन आदि दैनिक उपयोगी सामग्री लेने के लिए सहूलियत हो रही है.

अपने गांव में उचित मूल्य दुकान खुलने पर प्रशंसा व्यक्त करते हुए सरपंच जैगुर पोदिये आरकी कहती हैं कि पहले 12 किलो मीटर सफर कर माटवाड़ा से सायकल, कावड़ या सिर पर ढोकर राशन लाना परेशानी भरा था. यह दिक्कत बारिश के दिनों में और भी तकलीफ भरा होता था. लेकिन अब राज्य शासन और जिला प्रशासन की संवेदनशील पहल से गांव में ही राशन दुकान संचालन होने पर यह मुसीबत दूर हो गई. गांव के उप सरपंच जग्गूराम मरकाम और ग्राम पटेल विज्जा आरकी ने गांव में राशन दुकान खोलने के लिए राज्य सरकार के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हुए कहते हैं कि इस दूरस्थ क्षेत्र के लोगों की हितों के लिए सरकार की यह सार्थक पहल है.

इसी तरह जैगुर के राशन कार्डधारी हितग्राही लखमा एवं जोगा बताते हैं कि राशन के लिए मीलों पैदल सफर करना वास्तव में मुसीबत भरा था, जो अब सरकार की पहल से दूर हो गई. जैगुर उचित मूल्य दुकान से राशन लेने वाले 10 किलोमीटर दूर मालेगुंडा के ग्रामीणों की तो मानो मनोरथ पूरी हो गई है. इस गांव के राशन कार्डधारी महिलाएं कमला और सोनकी ने बताया कि पहले तो राशन लेने के लिए माटवाड़ा जाने और आने में सुबह से रात हो जाती थी. हालांकि अब भी उन्हें 10 किलोमीटर पैदल चलकर जैगुर से राशन लाना पड़ता है, लेकिन अब थोड़ी राहत मिल गई है.

जैगुर राशन दुकान के सेल्समेन सखाराम पोडियाम ने बताया कि अभी खुला मौसम में जैगुर तक राशन पहुँचाने के लिए जरूर सहूलियत है. लेकिन बारिश में दिक्कत को देखकर जिला प्रशासन से सड़क की मरम्मत करने का आग्रह किया गया है. इस उचित मूल्य दुकान में मध्यान्ह भोजन, पूरक पोषण आहर, महतारी जतन योजना सहित राशन कार्डधारी हिग्राहियों के लिए कुल साढ़े 86 क्विटल चावंल सहित 5 क्विंटल चना, 5 क्विंटल नमक और करीब ढ़ाई क्विंटल शक्कर का आबंटन मिलता है. जिससे क्षेत्र के ग्रामीणों को एक बड़ी सहूलियत हो रही है.