चंडीगढ़ : शिरोमणि अकाली दल के नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री बिक्रम मजीठिया की याचिका पर आज पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। मजीठिया ने अपनी गिरफ्तारी को गैर-कानूनी बताते हुए रिमांड आदेश को रद्द करने की मांग की है। यह सुनवाई पहले 3 जुलाई को होनी थी, लेकिन मोहाली कोर्ट ने 2 जुलाई की पेशी के बाद रिमांड आदेश जारी नहीं किया, जिसके कारण सुनवाई टाल दी गई थी।

मजीठिया को 25 जून को विजिलेंस ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में गिरफ्तार किया था। अगले दिन मोहाली कोर्ट में पेशी के बाद उन्हें सात दिन की विजिलेंस रिमांड पर भेजा गया था। मजीठिया और उनके वकीलों का दावा है कि उनकी गिरफ्तारी गलत तरीके से की गई और यह मामला सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द की गई एक रिपोर्ट पर आधारित है।


सात दिन का रिमांड खत्म, चार दिन और बढ़ाया

25 जून को विजिलेंस ब्यूरो ने मजीठिया के अमृतसर और चंडीगढ़ स्थित आवासों समेत कई स्थानों पर छापेमारी की थी। 540 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितता के सबूत मिलने पर उन्हें गिरफ्तार किया गया। मोहाली कोर्ट में 26 जून को पेशी के दौरान विजिलेंस ने 540 करोड़ रुपये के वित्तीय लेन-देन में गड़बड़ी के तथ्य पेश किए, जिसके बाद मजीठिया को सात दिन की रिमांड पर भेजा गया। 2 जुलाई को रिमांड खत्म होने के बाद मोहाली कोर्ट में दोबारा पेशी हुई, जहां विजिलेंस ने यूपी, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली में उनकी संपत्तियों से जुड़ी और वित्तीय अनियमितताओं के तथ्य पेश किए। इसके बाद कोर्ट ने रिमांड को चार दिन और बढ़ा दिया।

छापेमारी में क्या मिला?

विजिलेंस ने 25 जून को मजीठिया के अमृतसर और चंडीगढ़ स्थित आवासों सहित 26 स्थानों पर छापेमारी की। इस दौरान 29 मोबाइल, 5 लैपटॉप, 3 आईपैड, 2 डेस्कटॉप, 8 डायरियां और अन्य दस्तावेज बरामद किए गए। विजिलेंस का कहना है कि मजीठिया को अन्य राज्यों में जांच के लिए ले जाना होगा।

2021 में मजीठिया के खिलाफ एनसीपीएस (नारकोटिक्स कंट्रोल प्रोग्राम सर्विस) का मामला दर्ज हुआ था। आय से अधिक संपत्ति के इस मामले में पूर्व डीजीपी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय की भी संलिप्तता सामने आई है, जो उस समय डीजीपी के पद पर थे। उन्होंने इस मामले की पूरी जानकारी और बयान दर्ज कराए। इसके अलावा, ईडी के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर निरंजन सिंह ने भी विजिलेंस कार्यालय में मजीठिया मामले में अपने बयान दर्ज कराए।