बिलासपुर। कहते हैं अपनी परेशानी का हल खुद ही निकालना पड़ता है. फिर चाहे वह जैसे भी हो. कुछ ऐसा ही 5वीं क्लास में पढ़ रहे मनीष ने कर दिखाया है. मनीष ने एक घोड़े को ही अपना साथी बना लिया. अपने घर से 5 किमी दूर वह घोड़े पर सवार होकर स्कूल पढ़ने जाता है. आसपास के क्षेत्र में बच्चा और घोड़ा दोनों कौतूहल का विषय बना हुआ है.

दरअसल यह पूरा मामला बिलासपुर जिले के बेलगहना का है. जहां छोटी उम्र में ही मनीष यादव घोड़े की सवारी कर रहा है. शासकीय प्राथमिक शाला बेलगहना में नवाबों की तरह घोड़े पर चढ़कर पढ़ने जाता है. वो भी ऐसे समय पर जब आज के परिवेश में बच्चे साइकिल, बाइक और कार चलाने की सोच रखते हैं. लेकिन ऐसे समय में भी मनीष ने घोड़े की सवारी चुनी.

जरगा गांव निवासी मनीष यादव 5वीं क्लास में पढ़ता है. रोजाना सुबह 9 बजे घोड़े पर सवार होकर 5 किमी दूर बेलगहना प्राथमिक स्कूल जाता है. जिसे रास्ते भर में लोग टकटकी लगाए देखते रहते हैं. जब तक मनीष अपनी कक्षा में बैठकर पढ़ाई करता है, तब तक उसका घोड़ा आस-पास ही घास चरते रहता है. स्कूल के मैदान में घोड़े को बांध देता है.

4 बजे स्कूल से छुट्टी होने के बाद जब फिर से मनीष अपने गांव जरगा के लिए निकलता है, तो वो और उसका घोड़ा बाजार में चर्चा का विषय बना रहता है. लोग उसे देखने के लिए पहुंचने लगते हैं. खास बात यह है कि मनीष को अपने यातायात के लिए ना तो पेट्रोल की जरूरत है, ना ही लाइसेंस की जरूरत है. घोड़े पर चढ़ो और दौड़ाते रहो. महंगाई के जमाने में खर्चा भी बच जाता है.

मनीष यादव कहता है कि वो पिछले एक महीने से घोड़े की सवारी कर स्कूल आ रहा है. उसके पिता ने उसे घुड़सवारी सिखाई है. जबकि उसके दादा उसे घोड़े पर बैठकर स्कूल जाने के लिए कहते हैं. मनीष को भी घोड़े की सवारी अच्छी लगती है. यही वजह है कि वह रोजाना समय पर घोड़े पर सवार होकर स्कूल पहुंच जाता है. गांव वाले भी मनीष की तारीफ करते नहीं थकते हैं.

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