बिलासपुर। छत्तीसगढ़ की न्यायधानी में 24 घंटे के दौरान हुई बारिश ने पिछले 18 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया. 70 वर्षों से अधिक समय में यह दूसरी बार हुआ है जब एक दिन में इतनी बारिश दर्ज की गई.
मौसम विभाग ने बताया कि बिलासपुर में 24 घंटे में 127 मिमी बारिश दर्ज की गई. शहर के अधिकांश हिस्से जलमग्न हो गए. लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. मौसम विभाग के अनुसार न्यायधानी में 24 घंटे में 104.6 मिमी बारिश दर्ज की गई थी.

भारी बारिश ने पंडा बाजार फिर बिलासपुर न्यायधानी की पोल खोल दी. शहर की सड़कें दरिया बन गईं. कई कॉलोनियां जलमग्न हो गईं. पानी का बहाव घरों में घुस गया. लोगों के घर, दुकान सब कुछ जलमग्न हो गया. कई घरों में तो 4 से 5 फीट तक पानी भर गया. स्थिति इतनी बिगड़ी कि लोगों को अपना घर छोड़कर रिश्तेदारों और सुरक्षित स्थानों पर शरण लेना पड़ा.
प्रदेश की खराब सड़कों पर हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान
बिलासपुर। प्रदेश भर की खस्ताहाल सड़कों को लेकर चल रही सुनवाई में आज हाईकोर्ट ने शासन से कहा कि, सड़कें दुरुस्त कराने में आपको कितना समय लग रहा है, कब तक आप स्टडी ही कराते रहेंगे. इसके साथ ही डिवीजन बेंच ने शासन को दो सप्ताह के अंदर फोटो के साथ रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है.
रायपुर-बिलासपुर नेशनल हाईवे से लेकर बिलासपुर शहर की मुख्य सड़कों तक जगह-जगह गड्ढे और ब्लैक स्पॉट बने हुए हैं, जिनकी वजह से आए दिन जानलेवा हादसे हो रहे हैं. इस मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी. इसके साथ ही सुनिता उपाध्याय और अरविन्द राजपूत की जनहित याचिका पर भी सुनवाई हुई.
जस्टिस की डिवीजन बेंच ने लोकनिर्माण और एनएचएआई समेत एनटीपीसी और एसईसीएल जैसे बड़े संस्थानों को भी जवाबदेह ठहराया. हाईकोर्ट ने कहा कि, सुधार केवल कागजों पर नहीं बल्कि जमीनी स्तर पर दिखना चाहिए. कोर्ट ने कहा था कि इसके साथ ही कई जगह ब्लैक स्पॉट बन गए हैं, रिसर्च और रिपोर्ट का इंतजार किए बगैर ही तत्काल काम शुरू करें.
दुर्घटना में जा रही लोगों की जान
सीजेस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरू की डिवीजन बेंच में हुई सुनवाई में कोर्ट ने कहा कि, सारी सड़कों की हालत बहुत खराब है, लोग उस पर चलते हुए गिर जाते हैं, “दुर्घटन में लोगों की जान जा रही है. आप कब तक सब ठीक कर सकेंगे.”
इसके जवाब में शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कहा कि स्थिति को सुधारने के लिए स्टडी कराई जा रही है. एनएचएआई ने कहा कि 15 दिन के अंदर सड़क की मरम्मत की जाएगी, इसके आधार पर सुधार कार्य किया जाएगा. कोर्ट ने कहा कि, क्या दो-तीन साल बाद चालू करेंगे. कोर्ट ने यह भी कहा कि, सड़कों को बनाना आप लोगों का काम है, क्या यह भी हम लोग करेंगे.
रेरा का नया एकीकृत पोर्टल हुआ शुरू
बिलासपुर। रियल एस्टेट (विनियमन व विकास) अधिनियम 2016 के अंतर्गत केंद्रीय परामर्श परिषद की पांचवीं बैठक गुरुवार को नई दिल्ली स्थित संकल्प भवन में हुई. यह मीटिंग आवासन व शहरी कार्य मंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई.
बैठक में आवासन व शहरी कार्य राज्य मंत्री टोकन साहू, केंद्र व राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारी, रेरा प्राधिकरण अध्यक्षों व पदाधिकारियों, गृह खरीदारों और डेवलपर्स संघों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया.
इस अवसर पर एकीकृत रेरा पोर्टल का शुभारंभ किया गया. साहू ने कहा कि रेरा ने आवासीय व निर्माण क्षेत्र को नियमित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. रेरा ने इस क्षेत्र में आवश्यक पारदर्शिता और उत्तरदायित्व स्थापित किया है, जिससे गृह खरीदारों और निवेशकों का विश्वास पुनः स्थापित हुआ है.
बैठक में इन मुद्दों पर हुई चर्चा
बैठक में रेरा को और प्रभावी व सशक्त करने, पारदर्शिता सुनिश्चित करने तथा रियल एस्टेट क्षेत्र में जनजागरूकता बढ़ाने पर चर्चा की गई. इस अवसर पर ‘अमृतकाल 2025’ अभियान का शुभारंभ किया गया. इस अभियान का अंतिम छोर तक पहुंचने वाला आयोजन 31 मार्च 2025 तक 5,000 से अधिक स्थानीय निकायों में किया जाएगा.
मंत्री साहू ने जीएसटी रिफॉर्म्स का किया अभिनंदन
केंद्रीय आवासन व शहरी कार्य राज्य मंत्री तोखन साहू ने 56वीं जीएसटी काउंसिल बैठक में लिए गए पोर्टेबलिटी और फ्लेक्सिबिलिटी संबंधी निर्णयों का हार्दिक अभिनंदन किया. उन्होंने कहा कि यह निर्णय आम जनता, मध्यम वर्ग, युवा और व्यापारियों के लिए राहत देने वाला है.
दिव्यांग पुत्र-पिता की दुकानों की नीलामी पर हाईकोर्ट की रोक
बिलासपुर। मानसिक दिव्यांग पुत्र और उसके पिता की नगर निगम की दुकानों की शुक्रवार को होने वाली नीलामी पर जस्टिस अरविंद वर्मा की एकल पीठ ने रोक लगा दी है. न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं को राहत देते हुए निगम को सहानुभूति पूर्णक कार्य करने के लिए निर्देशित किया है.
दिव्यांग अधिकार अधिनियम, 2016 के प्रकाश में सहानुभूति पूर्णक कार्य करने हेतु भी निगम को निर्देश दिए हैं. न्यायालय ने याचिकाकर्ता पुत्र और पिता को भी आदेशित किया है कि, वे क्रमशः एक सप्ताह और एक माह के भीतर दुकानों की सम्पूर्ण राशि नगर निगम के पास जमा कर दें.
याचिकाकर्ता एक मानसिक दिव्यांग व्यक्ति है, जिसका मानसिक चिकित्सालय सेंदरी में निरंतर इलाज चलता रहता है, और उसके पिता अनील पाण्डेय की इमलिपारा स्थित निगम की दुकानों में दो दुकानें हैं, जिसमें पिता-पुत्र कपड़ों का व्यापार करते हैं. कोरोना काल में निगम ने दुकानों के सभी किरायेदारों का किराया और अन्य देयक माफ कर दिए थे. पिता-पुत्र दोनों की दुकानें भी इसका हिस्सा थीं.
25 मई को लगा दिया ताला
22 मई को नगर निगम ने पिता-पुत्र दोनों की दुकानों में ताला डाल दिया और उनका सारा सामान उठा कर ले गया. याचिकाकर्ताओं के अनेक आवेदन पत्रों के बावजूद नगर निगम ने कोई असर नहीं लिया. मजबूरी में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी.
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