RPF Latest News: प्रतीक चौहान. रायपुर. दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन के बिलासपुर रेल मंडल के सीनियर डीएससी ने अवैध वेंडरों पर कार्रवाई और लगाम के लिए एक अनोखी और सार्थक पहल की है.

इसमें हफ्ते में 5 दिनों तक मंडल के विभिन्न आरपीएफ (RPF) पोस्ट के इंस्पेक्टरों को ये निर्देश दिया गया है कि वो अपनी एक टीम ट्रेन में निरीक्षण के लिए भेजेंगे. इसमें जहां भी अवैध वेंडर उन्हें दिखाई दे उन्हें पकड़कर संबंधित पोस्ट को हेंडओवर किया जाए.

इतना ही नहीं इसमें उक्त टीम को ये भी अधिकारी दिया गया है कि वे रेलवे स्टेशन में भी वेंडरों पर कार्रवाई कर सकते है. इस फैसले को आसान भाषा में ऐसा समझा जा सकता है कि रायपुर आरपीएफ (RPF) की टीम रायपुर से लेकर दुर्ग तक ट्रेन में निरीक्षण करेंगी और यदि ट्रेन में या रेलवे स्टेशन में अवैध वेंडर मिले तो उन्हें दुर्ग पोस्ट में हेंडओवर किया जा सका.

हालांकि ये काम अब तक थानों की सीमाओं में बंधा हुआ था, जिसे सीनियर डीएससी की पहल ने खोल दिया है और यही कारण है कि बिलासपुर रेल मंडल में अवैध वेंडरों पर लगाम लगी है.

आईजी ने मांगा जवाब…

आईजी ने रायपुर, नागपुर और बिलासपुर रेल मंडल के अधिकारियों को पत्र लिखकर अवैध वेंडरों के खिलाफ ड्राइव चलाने के निर्देश दिए थे. जिसके बाद दुर्ग में आईजी के आदेश और ड्राइव की पोल खुल गई और इसका खुलासा लल्लूराम डॉट कॉम ने किया. जिसके बाद आईजी ऑफिस से रविवार को वाट्सअप में तमाम इंस्पेक्टरों से उक्त ड्राइव के संबंध में जानकारी मांगी गई है, कि पत्र के बाद कहां-कहां ड्राइव चलाई गई है और कितनें अवैध वेंडरों के खिलाफ कार्रवाई हुई. सूत्रों की माने तो इस दौरान जोन की टीम ने 80 से अधिक अवैध वेंडर पकड़कर संबंधित पोस्ट को हेंडओवर किए गए है.

ये कैसा आदेश ?

रायपुर रेल मंडल के दुर्ग आरपीएफ पोस्ट ने एक अनोखा फरमान वाट्सअप में जारी किया है. फरमान ये है कि दुर्ग आरपीएफ पोस्ट के ड्यूटी चार्ट की अब तस्वीर कोई भी स्टॉफ नहीं खिंच सकता. यहां तक ये ड्यूटी चार्ट अब पोस्ट के अधिकृत वाट्सअप ग्रुप में भी नहीं भेजा जाएगा. हैरानी की बात ये है कि वाट्सअप में ड्यूटी चार्ट न भेजे जाने वाला आदेश भी वाट्सअप में ही दिया गया है.

यानी इस ड्यूटी चार्ट में ऐसा कोई जरूर गोलमाल है, जिसे छुपाने का प्रयास किया जा रहा है. बता दें कि दुर्ग आरपीएफ पोस्ट में स्टॉफ को 1-1 महीने तक बिना वीक ऑफ दिए ड्यूटी कराए जाने का मामला लल्लूराम डॉट कॉम ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था, जिसके बाद तत्कालीन RPF आईजी से रेलवे बोर्ड ने इस मामले में जवाब मांगा था.