बिलासपुर। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डाॅ. किरणमयी नायक ने महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों की जनसुनवाई के दौरान आज दो जोड़े परिवारों के बीच सुलह कराई. यह पहला अवसर था, जिसमें पत्नियों के अलग-अलग आवेदन थे और अलग-अलग शिकायत थी. दोनों के पतियों और उनके परिजनों को विस्तार से समझाईश दी गई. जिस पर दोनों दम्पत्ति ने पुराने मतभेद भुलाकर फिर से साथ रहने की सहमति दी. इसके अलावा एक प्रकरण में प्रधान आरक्षक के खिलाफ आईजी को कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं. सुनवाई में 23 प्रकरण रखे गये थे, जिनमें से 11 प्रकरण मौके पर ही निराकृत किये गये.

बिलासपुर निवासी पीड़िता ने पुलिस आरक्षक के ऊपर दैहिक शोषण का आरोप लगाया था. इस प्रकरण को गंभीरता से सुनते हुए अध्यक्ष ने निर्णय दिया कि प्रधान आरक्षक शादी-शुदा होने के बावजूद महिला के साथ अवैध संबंध में रखा. यह सिविल सेवा आचरण संहिता का स्पष्ट उल्लंघन है. महिला आयोग ने बिलासपुर आईजी को पत्र भेजने का निर्देश और प्रधान आरक्षक को सुनवाई का अवसर देते हुए दस्तावेजों के आधार पर सेवा से निलंबित करने कहा. दोषी पाए जाने पर सेवा समाप्त करने का आदेश भी दिया. उन्होंने कहा कि शासकीय सेवकों का इस तरह महिला विरोधी आचरण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

बिलासपुर निवासी दो आवेदिकाओं ने नौकरी से निकालने पर मानसिक प्रताड़ना की शिकायत की. आयोग में उपस्थित अनावेदक ने बताया कि शासन से उन्हें कोई भी अनुदान नहीं दिया जाता है. इस प्रकरण में आयोग की अध्यक्ष ने निर्णय दिया कि शिक्षण संस्था प्राइवेट संस्था है. शासन से कोई अनुदान प्राप्त नहीं होता है. जिससे प्रकरण की सुनवाई आयोग के क्षेत्राधिकार में नहीं होने से दोनों प्रकरणों को नस्तीबद्ध किया जाता है.

बिलासपुर निवासी एक आवेदिका ने अपने पति और ससुर के खिलाफ दहेज प्रताड़ना की शिकायत की थी कि उनके द्वारा दहेज के लिये आवेदिका को धमकाया जा रहा है. इसलिए वे अपने पति के साथ नहीं रह रही है. अध्यक्ष नायक ने इस प्रकरण को गंभीरता से सुना और इस पर निर्णय लेते हुए आवेदिका को कुछ शर्तों के साथ समझौता कर ससुराल जाने के लिए कहा. दोनों पक्ष समझौता के लिये तैयार थे, आवेदिका ने शर्त रखी कि अनावेदक शराब पीकर लड़ाई नहीं करेगा और मजदूरी पर जाने के लिये आवेदिका को परेशान नहीं करेगा. इन शर्तों के साथ ही आवेदिका राजीखुशी से अनावेदक के साथ जाने को तैयार हुई. इस प्रकरण में नियमित निगरानी के लिये जिला पंचायत मुंगेली की पूर्व सदस्य मायारानी सिंह को अधिकृत किया गया. वे उभयपक्ष को किसी प्रकार की समस्या होने पर तत्काल सूचना देगी.

इसी प्रकार नीतूकरही निवासी आवेदिका ने अनावेदक के खिलाफ भरण-पोषण नहीं करने और शराब पीकर मारपीट करने की शिकायत की थी. जिससे परेशान होकर वह अपने मायके में निवास कर रही थी. आयोग की अध्यक्ष ने इस प्रकरण में भी बच्चे की बेहतरी के लिये दोनों को साथ रहने की समझाईश दी. आवेदिका ने कुछ शर्तों के साथ अनावेदक के साथ रहने पर सहमति दी. इस प्रकरण की निगरानी एक साल तक करने के लिये आयोग की ओर से शिल्पी तिवारी और सरपंच नरोत्तम पटेल को अधिकृत किया गया.