आकाश श्रीवास्तव, नीमच। जब बेटा-बेटी बड़े हो जाते है तो माता-पिता को उनकी शादी की चिंता सताने लगती है। योग्य वर-वधु की तलाश करते हैं। देवी-देवताओं को मनाते है, मनता मानते हैं ताकि समय पर बेटा-बेटी के हाथ पीले हो जाए। ऐसे ही कुंवारों के देवता मध्यप्रदेश के नीमच जिले के जावद में विराजित है। जिन्हें कुंवारों के देवता बिल्लम बावजी के नाम से जाना जाता है।

दअसल मध्यप्रदेश के नीमच जिले के जावद की पुरानी धान मंडी में एक ऐसे देवता विराजित होते हैं जिन्हें कुंवारों के देवता बिल्लम बावजी के नाम से जाना जाता है। बिल्लम बावजी की स्थापना आज से 50 साल पहले की गई थी जो अब यहां की प्रथा बन गई है। प्रतिवर्ष आज ही के दिन रंग पंचमी पर विधिविधान से पूजन अर्चना कर नगरवासियों द्वारा विराजित किया जाता है। जो 9 दिन रंग तेरस तक विराजित रहते हैं। इसके बाद इनकी स्थापना मंदिर के अंदर कर दी जाती है। इन 9 दिनों में हजारों की संख्या में देश के कोने कोने में कुंवारे युवक युवती यहां शादी की मानता लेकर आकर विधि विधान से पूजा करते है। आज ढोल-ढमाकों और विधि-विधान से पूजा-अर्चना के साथ बिल्लम बावजी की स्थापना की गई।

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