रायपुर. जिंदगी में करोड़पति बनने का शौक हर शख्स पालता है. कुछ ऐसे भी शौक होते हैं जो बाद में इंसान को खासे महंगे पड़ जाते हैं. कभी जोर-शोर से लोगों की जबान पर चढ़ गई बिटकाइन का स्वाद भी अब कसैला हो चला है. रातोंरात भारी रिटर्न पाने के चक्कर में दुनियाभर के करोड़ों लोगों ने बिटकाइन में सिर्फ इसलिए निवेश कर दिया कि मुनाफा तगड़ा होगा. बिना ये जाने और सोचे कि इस वर्चुअल करेंसी का भूत-भविष्य और वर्तमान क्या है. आइए जानते हैं आज की सबसे चर्चित मुद्रा का लेखा-जोखा और इसके अर्श से लेकर फर्श तक पर आने का सफर.

शुरुआत

18 अगस्त 2008 को एक डोमेन नेम रजिस्टर्ड किया जाता है. डोमेन नेम मतलब किसी भी वेवसाइट का आफिशियल वर्चुअल अड्डा. उस डोमेन का नाम होता है ‘’bitcoin.org’’. ठीक इसी साल नवंबर में एक पेपर पब्लिश किया जाता है उस वेवसाइट पर और उसका लिंक वेबसाइट के यूजर्स को भेजा जाता है. उस पेपर में बिटकाइन और उसके काम करने के तौर तरीकों के बारे में बताया जाता है. पेपर के लेखक ने अपना नाम सतोषी नाकामोटा बताया. ये उसका असल नाम है या फर्जी. इसकी कोई जानकारी आजतक किसी के पास नहीं है. दुनिया में पहली बार वर्चुअल करेंसी का कांसेप्ट अस्तित्व में आता है. वेबसाइट के यूजर्स को ये कांसेप्ट पसंद आता है. खास बात ये है कि बिटकाइन का लेन-देन सिर्फ और सिर्फ वेबसाइट के यूजर्स या फिर चुनिंदा लोगों तक ही सीमित रहता है. जनवरी 2009 में बिटकाइन साफ्टवेयर इजाद होता है. इस साफ्टवेयर को आप अपने कंप्यूटर पर लोड कीजिए और बिटकाइन के लेन-देन वाले समूह से जुड़िए और कीजिए बिटकाइन में लेनदेन.

दरअसल बिटकाइन का कांसेप्ट चैनल मार्केटिंग टाइप का बिजनेस है. जिसमें एक के बाद एक लोगों की चेन जुड़ती है और सिर्फ चेन से जुड़े लोग ही इस प्रोसेस में हिस्सा ले सकते हैं. हर यूजर को निश्चित संख्या में बिटकाइन आवंटित कर दी जाती थी और लोग अपने हिस्से में आई बिटकाइन का लेनदेन करते थे. भारत में जहां लंबे अरसे से इसे मान्यता देने की बात की जा रही थी वहीं दुनिया के कई देशों इक्वाडोर, बोलीविया, बांग्लादेश और कई सारे लैटिन अमेरिकी और एशियन देशों ने इस करेंसी को अपने यहां स्वीकार्य कर लिया था.

बिटकाइन का खेल

बिटकाइन साफ्टवेयर यूज करने वाले लोग एक साफ्टवेयर के जरिए आपस में जुड़े रहते थे. उनमें से हर यूजर को दस मिनट का वक्त दिया जाता था एक खास किस्म की मैथमैटिकल पजल हल करने के लिए. जो भी यूजर सबसे जल्दी उस पजल को हल कर लेता था उसके खाते में12.5 बिटकाइन अलाट कर दी जाती थी. हां, कहने को बेहद मामूली ट्रांजैक्शन फीस होती थी जिसे की यूजर को अदा करना होता था. इस दस मिनट के वक्त को बिटकाइन यूजर्स की भाषा में ‘’माइनिंग’’ कहा जाता था.

भारत में नहीं सफल रहा बिटकाइन

भारत में बिटकाइन के लेनदेन की वकालत करने वाले बहुतेरे लोग हैं लेकिन ये भारत में ज्यादा सफल नहीं रहा. वजह रही, बिटकाइन यूजर्स के लिए इस्तेमाल होने वाले उपकरणों का बेहद महंगा होना. दरअसल बिटकाइन और इससे जुड़े साफ्टवेयर की कीमत करीब 2.5 लाख के आसपास पड़ती है. इसके इस्तेमाल का पेचीदा तरीका और महंगा रखरखाव भारत में इसे लोगों की पसंद नहीं बना पाया.

अभी क्या है बिटकाइन की स्थिति

ऐसा माना जा रहा है कि 17 मिलियन के आसपास की मूल्य की बिटकाइन करेंसी चलन में है जो कि 2140 तक करीब 21 मिलियन का आंकड़ा छू लेगी. बिटकाइन के लेन देन के लिए बकायदा विभिन्न देशों में बिटकाइन एक्सचेंज भी बने हुए हैं. बिटकाइन आनलाइन बिजनेस से जुड़ी होने के कारण बड़ी आसानी से हैकर्स का शिकार हो सकती है. दुनिया के कई बिटकाइन एक्सचेंज को हैकर्स ने करोड़ों का चूना लगा दिया है. इनमें कुछ एशियन औऱ यूरोपियन देशों के एक्सचेंज शामिल हैं. बावजूद इसके अमेरिका और यूरोप समेत तमाम देशों की ट्रैवल साइट्स और मनी ट्रांजैक्शन साइट्स इसे लेन देन के लिए धड़ल्ले से स्वीकार करती हैं।

भारत में मौजूदा एक्सचेंज

जेबपे, यूनोकाइन, क्वाइनसिक्योर, बिटजोजो जैसे आनलाइन बिजनेस पोर्टल हैं जो बिटकाइन के अथराइज्ड बिजनेस एक्सचेंज हैं.

कैसे फूटा बुलबुला

2011 में जहां एक बिटकाइन की कीमत 32 अमेरिकी डालर तक पहुंच गई वहीं 2012-13 में बिटकाइन की कीमत 250 अमेरिकी डालर को भी पार कर गई. नवंबर 2013 में 1200 डालर के पार एक बिटकाइन की कीमत पहुंच गई वहीं करीब एक साल बाद अगस्त 2014 में आधी से भी कम कीमत पर करीब 600 अमेरिकी डालर के आसपास बिटकाइन लुढ़ककर पहुंच गया.शिखर पर पहुंचने के बाद बिटकाइन ने जो गोता लगाना शुरू कर दिया वो आजतक जारी है. जनवरी 2015 में बिटकाइन 200 डालर के पास पहुंच गया और जल्द ही  20000 यूएस डालर प्रति बिटकाइन के स्तर को हासिल कर लिया.ऐसी खबरें आना शुरू हुई कि ड्रग तस्करों ने बिटकाइन और इसके नेटवर्क का इस्तेमाल ड्रग तस्करी के लेनदेन में करना शुरू कर दिया. बिटकाइन औऱ इसके रहस्यमयी जंजाल ने जहां आर्थिक पत्रकारों और रिसर्चर्स को चौकन्ना कर दिया वहीं उन्होंने भविष्यवाणी भी कर दी थी कि बिटकाइन का बुलबुला जल्द ही फूटने वाला है. पिछले पंद्रह दिनों में करीब पचास फीसदी से भी अधिक की गिरावट दर्ज करने वाले बिटकाइन की कीमत 10000 यूएसडालर प्रति बिटकाइन तक पहुंच गई है. आर्थिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर 10000 के स्तर से नीचे बिटकाइन पहुंचता है तो बहुत मुमकिन है कि ये लुढ़ककर 1000 यूएसडालर प्रति बिटकाइन या उससे भी नीचे के स्तर तक पहुंच सकता है.

अब क्या होगा

आर्थिक विश्लेषकों के मुताबिक फिलहाल बिटकाइन से दूर रहने में ही भलाई है. ड्रग तस्करों के बेजा इस्तेमाल और हैकर्स की आसान पहुंच में होने के चलते बिटकाइन आम आदमी की गाढ़ी कमाई को बड़ी आसानी से डुबा सकता है. ये शुरू से ही रहस्मयी मुद्रा रही है. बिटकाइन की अस्थिरता इसे शेयर मार्केट से भी ज्यादा रिस्की ट्रेड बना देती है. बिटकाइन का भविष्य फिलहाल अनिश्चत है और विशेषज्ञों के मुताबिक इससे दूर रहने में ही भलाई है वर्ना करोड़पति से रोडपति बनने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा.