रायपुर। छत्तीसगढ़ी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा लिखे गए पत्र को भारतीय जनता पार्टी ने एक और राजनीतिक धोखा निरुपित किया है. पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि अपने दम पर कुछ सार्थक व रचनात्मक काम करने का पराक्रम दिखाने के बजाय बस घूम-फिरकर प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखने का नित-नया शिगूफा रचने में मशगूल मुख्यमंत्री बघेल की प्रदेश को भरमाने की राजनीति अब ज़्यादा नहीं चलने वाली है.

भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे मुख्यमंत्री का मुखौटा अब उतर चुका है. केंद्र सरकार ने हाल ही जिस राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रारूप को स्वीकृति दी है, उस नीति में बच्चों को मातृभाषा में शिक्षा देने की बात कही गई है, लेकिन मुख्यमंत्री बघेल ने ही सबसे पहले इस शिक्षा नीति का न केवल विरोध किया, अपितु यहाँ तक कहा कि छत्तीसगढ़ी में बच्चों की पढ़ाई संभव नहीं है, क्योंकि छत्तीसगढ़ी में पढ़कर प्रदेश के विद्यार्थी पिछड़ जाएंगे. डॉ. सिंह ने कहा कि ऐसे दोहरे सियासी चरित्र के मुख्यमंत्री अब प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर छत्तीसगढ़ी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग करके प्रदेश को भरमाने में लगे हैं, लेकिन प्रदेश अब उनके झाँसों में आने वाला नहीं है.

डॉ. सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़िया, छत्तीसगढ़ी अस्मिता के नाम पर राजनीतिक लफ़्फ़ाजी और जुबानी जमाखर्च करके कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ के साथ छल किया, इसका शोषण किया, उपेक्षा, भुखमरी, अशिक्षा, पिछड़ापन, बेकारी, बेबसी को छत्तीसगढ़ की नियति बनाकर रख दिया था. उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल ने एक राज्य के रूप में छत्तीसगढ़ को उसकी पहचान दी और 15 वर्षों के भाजपा के सुशासन ने छत्तीसगढ़ को देश-विदेश के मानचित्र में स्थापित कर छत्तीसगढ़ के गौरव और मान-सम्मान को बढ़ाने का काम किया, छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा दिया तो आज कांग्रेस वृथा गाल बजाकर अपने मुँह मियां मिठ्ठू बनने पर आमादा नज़र आ रही है.

डॉ. सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा के मुद्दे पर दोहरे राजनीतिक चरित्र वाली कांग्रेस अब पूरी तरह बेनक़ाब हो चुकी है, इसलिए छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़िया अस्मिता और छत्तीसगढ़ी भाषा को लेकर भाजपा को नसीहत देना और बार-बार पत्र लिखने की शिगूफेबाजी करना मुख्यमंत्री बघेल बंद करें. उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस सचमुच छत्तीसगढ़ी भाषा के मामले में संज़ीदा है तो उसे बिना कोई ना-नुकुर किए राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रारूप का समर्थन कर उसके प्रावधानों को लागू करने की ईमानदार पहल करे ताकि अपने जीवन-मूल्यों और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की अवधारणा से प्रेरित एक नए सशक्त और स्वाभिमानी राष्ट्र के रूप में आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना साकार हो सके.