रायपुर। प्रदेश में कोरोना संक्रमण के लगातार बढ़ रहे मामलों और कोरोना संक्रमितों के इलाज में बरती जा रही लापरवाही को लेकरभारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने राज्य सरकार पर जमकर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि प्रदेशभर से कोरोना संक्रमण और उसके इलाज की बदइंतज़ामी की आ रहीं ख़बरें प्रदेश सरकार के नाकारापन को जाहिर कर रही हैं. जन-स्वास्थ्य के साथ क्रूर खिलवाड़ करने वाली प्रदेश सरकार सत्ता में रहने का अधिकार खो चुकी है. उन्होंने धमतरी में कोरोना का उपचार करने के दौरान मृत डॉक्टर के परिजनों को एक करोड़ रुपए की राशि देने की मांग भी की है.

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने कहा कि राजधानी में 298 समेत प्रदेशभर में कोरोना के रिकॉर्ड 1136 मामले एक ही दिन में आने के बाद यह आईने की तरह साफ हो चला है कि प्रदेश में कोरोना की रोकथाम की राज्य सरकार बड़ी-बड़ी डींगें भर हाँकती रही है, जबकि ज़मीनी सच्चाई यही है कि प्रदेश की यह कांग्रेस सरकार पूरी तरह निकम्मी साबित हुई है. आँकड़े भी साबित कर रहे हैं कि कोरोना की जाँच के मामले में छत्तीसगढ़ काफी पिछड़ा हुआ है. उन्होंने कहा कि क्वारेंटाइन सेंटर्स तो नारकीय यंत्रणा के पर्याय बने हुए हैं ही, अब तो 79 दिनों में 207 लोगों की मौतें होना इस बात का प्रमाण है कि कोविड-19 सेंटर्स भी बदइंतज़ामी के चलते बदहाल हो चले हैं. कोविड सेंटर्स की इसी बदहाली के चलते जांजगीर-चाँपा ज़िले के ग्राम मुलमुला में ग्रामीणों ने कोरोना संक्रमितों को इलाज के लिए अस्पताल नहीं ले जाने दिया और वहाँ पुलिस व डॉक्टर्स की टीम को दौड़ाकर भगाने की दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी है.

साय ने कहा कि कोरोना काल में पूरे प्रदेश का हाल बेहाल है. संवेदनहीनता की पराकाष्ठा तो यह है कि सामान्य रूटीन के इलाज में भी डॉक्टर्स ध्यान नहीं दे रहे हैं. महासमुंद ज़िला अस्पताल में पेट दर्द से पीड़ित 13 वर्षीय बालक की मौत के बाद बालक की माँ सीढ़ी पर बालक के शव के पास घंटों बैठकर शव के पोस्टमार्टम का इंतज़ार करती रही और अस्पताल के सारे डॉक्टर्स संसदीय सचिव विनोद चंद्राकर की मौज़ूदगी में हो रहे कोरोना वॉरियर्स के सम्मान में व्यस्त और मस्त थे. धमतरी के ज़िला अस्पताल में भी भर्ती दो मरीजों के कोरोना पॉज़ीटिव मिलने के बाद वहाँ के स्वास्थ्य कर्मियों ने इन मरीजों के साथ संवेदनहीनता की पराकाष्ठा कर दी. चलने-फिरने में असमर्थ मरीज को व्हील चेयर पर बिठाकर धूप में छोड़ दिया गया. आख़िरकार शाम को रायपुर ले जाते हुए रास्ते में ही इस मरीज की मौत हो गई. बिलासपुर में तो डॉक्टर्स ने कोरोना संक्रमित मरीज की मृत्यु के बाद उसके परिजनों को पीपीई किट देकर अंतिम संस्कार के लिए ले जाने को कह दिया जबकि नियमत: यह काम ज़िला प्रशासन, नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग के अमले को करना था.

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष साय ने कहा कि प्रदेश सरकार कोरोना वॉरियर्स के सम्मान के नाम पर भी काफी शोर मचा रही है, जबकि भाजपा शुरू से यह मांग करती आ रही है कि प्रदेश सरकार कोरोना संक्रमण के ख़िलाफ़ जारी ज़ंग में जुटे डॉक्टर्स समेत सभी कोरोना वॉरियर्स का बीमा कराए. प्रदेश सरकार ने इस पर अब तक कोई सार्थक पहल नहीं की है, जबकि दिल्ली समेत कई राज्यों में इस दिशा में काम हुआ है. पदस्थापना के दौरान ड्यूटी पर डॉक्टर की मृत्यु होने पर कई राज्य सरकारें मृतक के परिजनों को एक करोड़ रुपए की राशि प्रदान कर रही हैं. इसी तरह प्रदेश सरकार हाल ही ड्यूटी कर रहे डॉक्टर की मृत्यु के बाद उनके परिजनों को एक करोड़ रुपए की राशि प्रदान करे.