पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ अप्रैल में हुई हिंसा के मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट की समिति ने तृणमूल कांग्रेस सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है. इस स्थिति के चलते भाजपा आक्रामक हो गई है. सांसद सुधांशु त्रिवेदी (Sudhanshi Trivedi)ने बुधवार को कहा कि तथ्य-खोजी SIT की रिपोर्ट ने सरकार की ओर से हिंदुओं के प्रति की गई क्रूरता को उजागर किया है. भाजपा ने आरोप लगाया है कि हिंसा का लक्ष्य हिंदू समुदाय था, जैसा कि एसआईटी की रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से दर्शाया गया है.
सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि इस हिंसा में टीएमसी के नेताओं की संलिप्तता थी और पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए उन पर टीएमसी नेताओं की गतिविधियों की अनदेखी करने का आरोप लगाया. उन्होंने बताया कि मुर्शिदाबाद हिंसा पर आई रिपोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि हिंदुओं को जानबूझकर निशाना बनाया गया और पुलिस का रवैया हिंसा को रोकने के बजाय टीएमसी नेताओं की कार्रवाई को नजरअंदाज करने वाला था.
हिंदुओं के घर जलते रहे, प्रशासन देखता रहा
कमेटी में एनएचआरसी के एक सदस्य और पश्चिम बंगाल विधि एवं न्यायिक सेवा के अधिकारियों की भागीदारी ने इस रिपोर्ट को संस्थागत विश्वसनीयता प्रदान की है. रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि टीएमसी के निर्वाचित प्रतिनिधियों, जैसे स्थानीय पार्षद और विधायक, ने न केवल हिंसा को बढ़ावा दिया, बल्कि उनकी सक्रिय भागीदारी और निष्क्रियता ने पुलिस और नागरिक प्रशासन को भी निष्क्रिय रहने के लिए प्रेरित किया. इस दौरान हिंदू समुदाय के घरों को जलाने की घटनाएं हुईं, जबकि प्रशासन मूकदर्शक बना रहा.
कलकत्ता हाई कोर्ट की रिपोर्ट में हिंसा की ये वजह
मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ विरोधी प्रदर्शनों से जुड़ी हिंसा के पीड़ितों की पहचान और पुनर्वास के लिए कलकत्ता हाई कोर्ट द्वारा गठित समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि 11 अप्रैल को धुलियान में हुई घटनाओं के दौरान स्थानीय पुलिस की भूमिका “निष्क्रिय और अनुपस्थित” रही. रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि धुलियान कस्बे में हमलों का आदेश एक स्थानीय पार्षद ने दिया था.
विहिप ने भी ममता सरकार पर साधा निशाना
विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने सोशल मीडिया पर टिप्पणी की कि दीदी की पांच सदस्यीय टीम बंगाल से जम्मू कश्मीर जाएगी, लेकिन मुर्शिदाबाद की घटनाओं को भूल जाएगी. उन्होंने कहा कि दीदी को मुर्शिदाबाद की बजाय जम्मू कश्मीर में तबाह हुए आतंकी ठिकानों की चिंता है. यह बेहतर होता कि इस टीम को पहले मुर्शिदाबाद भेजा जाता, जहां टीएमसी के नेताओं के इशारे पर हिंदुओं का नरसंहार और पलायन हुआ.
माननीय उच्च न्यायालय की जांच समिति की उस गंभीर रिपोर्ट का अवलोकन करना आवश्यक है, जिसमें जिहादी हिंसा के दौरान पुलिस की निष्क्रियता और अनुपस्थिति को उजागर किया गया है. इस जांच दल में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण और न्यायिक सेवाओं के सदस्य शामिल थे. रिपोर्ट में अंधाधुंध आगजनी, लूटपाट और बाजारों की बर्बादी के मामलों का भी उल्लेख किया गया है. माननीय उच्च न्यायालय अपने निर्णय देगा, लेकिन यदि थोड़ी सी भी शर्म बची है, तो ममता जी को इस घटना पर माफी मांगते हुए पीड़ितों को त्वरित न्याय दिलाने की दिशा में कदम उठाना चाहिए.
3 सदस्यीय समिति द्वारा हाई कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट
एक तीन सदस्यीय समिति द्वारा उच्च न्यायालय को प्रस्तुत की गई रिपोर्ट में बताया गया है कि धुलियान के एक कपड़ों के शोरूम में लूटपाट की घटना हुई थी. रिपोर्ट में 11 अप्रैल की दोपहर को हुए “मुख्य हमले” का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि स्थानीय पुलिस की प्रतिक्रिया पूरी तरह से निष्क्रिय और अनुपस्थित थी. इस समिति में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के रजिस्ट्रार (कानून) जोगिंदर सिंह, पश्चिम बंगाल विधिक सेवा प्राधिकरण (डब्ल्यूबीएलएसए) के सदस्य सचिव सत्य अर्नब घोषाल और पश्चिम बंगाल न्यायिक सेवा के रजिस्ट्रार सौगत चक्रवर्ती शामिल हैं.
समिति ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने और पीड़ितों से बातचीत करने के बाद पिछले सप्ताह उच्च न्यायालय को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की. 17 अप्रैल को, उच्च न्यायालय ने मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ हुए प्रदर्शनों के दौरान प्रभावित लोगों की पहचान और पुनर्वास के लिए समिति के गठन का आदेश दिया था. न्यायमूर्ति सौमेन सेन और न्यायमूर्ति राजा बसु चौधरी की खंडपीठ ने समिति की रिपोर्ट में उल्लेख किया कि राज्य द्वारा अपने नागरिकों की सुरक्षा में विफलता को सुधारने का एकमात्र उपाय योग्य विशेषज्ञों की नियुक्ति करना है.
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