रायपुर. भारतीय जनता पार्टी के प्रतिनिधि मंडल ने बुधवार को दिल्ली में केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्री हरदीप पुरी से मुलाकात कर रायपुर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में व्याप्त भ्रष्टाचार के सम्बंध में ज्ञापन सौंपा. पूर्व लोक निर्माण मंत्री राजेश मूणत, लोकसभा सांसद सुनील सोनी, राज्यसभा सांसद सरोज पांडेय, शहर जिला अध्यक्ष जयंती पटेल, नगर निगम की नेता प्रतिपक्ष मीनल चौबे की अगुवाई में प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय मंत्री पुरी से कार्रवाई करने की मांग की. केंद्रीय मंत्री ने भाजपा प्रतिनिधि मंडल को आश्वस्त किया कि प्राथमिकता के साथ इस पर जांच कराकर यथोचित कार्रवाई की जाएगी.

पूर्व मंत्री मूणत और सांसद सुनील सोनी, सरोज पांडेय के साथ भाजपा पार्षद दल के प्रतिनिधिमंडल ने हरदीप पुरी को सौंपे ज्ञापन में जानकारी दी कि स्मार्ट सिटी रायपुर के कार्यों में लापरवाही और भ्रष्टाचार से व्यथित हो कर आज हम सभी जनप्रतिनिधि आप से भेंट करने आए हैं. वर्ष 2018 में स्मार्ट सिटी रायपुर का प्लान साइज 926.8 करोड़ रुपये की आई. जिसमें 70 मुख्य परियोजनाएं और 314 उप परियोजनाएं स्वीकृत हुई. सितम्बर 2022 में इनमें 185 योजना, जिसके लिए स्वीकृत राशि 388.74 करोड़ रुपये है, को पूर्ण बताया जा रहा है. 8.12.2015 को नगर निगम रायपुर द्वारा प्रथम चरण में प्रस्ताव तैयार कर केन्द्र शासन को भेजा गया था. उस प्रस्ताव के अनुकूल कार्य नहीं किया गया है. प्रतिस्पर्धा के जनभागीदारी और जन सुझाव के आधार पर पेन सिटी के लिए प्लान (वित्तीय प्लान सहित) तैयार कर भारत सरकार को भेजा गया. कार्य उसके अनुरूप नहीं हो रहा है और 129 परियोजना का प्रगतिरत जिसके लिए स्वीकृत राशि 538.05 करोड़ रुपये बताई जा रही है. उपर्युक्त कार्य में पूरा फर्जीवाड़ा और अत्याधिक आर्थिक हेराफेरी है. जिसका भौतिक सत्यापान आप किसी को भी भेज कर करवा सकते हैं. हम दावे के साथ कह सकते हैं कि धरातल पर उपर्युक्त कार्य बताये अनुसार नहीं हुए है.

भाजपा प्रतिनिधि मंडल ने कहा कि पहले ये कहा गया था कि स्मार्ट सिटी के अन्तर्गत ए.बी.डी. एरिया में कार्य किया जायेगा. कुछ समय बाद ए.बी.डी. एरिया के बाहर छोटे-छोटे कार्यों को जो कि नगर निगम के स्तर का था, महापौर के दबाव में स्मार्ट सिटी के अधिकारी करने लग गए. जिसकी जानकारी जनप्रतिनिधियों को नहीं दी गई. बहुत ही छोटे-छोटे चौक-चौराहों के सौन्दर्यीकरण पर करोड़ों का खर्चा दर्शाया जा रहा है, जो कि नामुनकिन है. बार-बार शिकायत करने के बावजूद भी कार्यों में गंभीरता नहीं दिखाई गई.

प्रतिनिधि मंडल ने कहा कि हमारे पास लिस्ट है जिसमें स्मार्ट सिटी के द्वारा 185 योजनाओं को पूर्ण बताया जा रहा है, जो फर्जी है. 129 कार्यां को प्रगतिरत बताया जा रहा है. जिसमें से कई कार्य अस्तित्व में ही नहीं है. कार्यों की बिंदुवार जांच के लिए कोई प्रतिनिधिमंडल भेजें जो वास्तविकता को देख पाए.

पूरी 314 परियोजनाएं, जिसमें कुछ को छोट कर सभी में अनिमितताएं और लापरवाही है. कुछ गंभीर उदाहरण आपके सामने प्रस्तुत हैं :-

  1. प्रोजेक्ट का नाम 36 गढ़ी है जिसमें 80 लाख रुपये का खर्च बताया जा रहा है. जिसमें लोगों से बातचीत किये, ऐसा कहा जा रहा है. नगर निगम के चुने हुए जनप्रतिनिधियों से आज तक स्मार्ट सिटी के किसी भी अधिकारियों ने चर्चा नहीं की है.
  2. गार्डन में मटरगस्ती नामक प्रोजेक्ट में 50 लाख रुपये बर्बाद कर दिया गया.
  3. लगभग 7.50 करोड़ रुपये से शहर के तेलीबांधा तालाब को संवारा गया और प्राइवेट एजेंसी को व्यापार करने के लिए दे दिया गया.
  4. स्मार्ट टाइलेट करोड़ों रुपये के बनाए गए हैं. जिसमें एक भी संचालित नहीं है.
  5. मोतीबाग उद्यान जिसमें 3.5 करोड़ रुपये का खर्च बताया जा रहा है. कुछ नहीं हुआ.
  6. आई.टी.एम.एस. इंटेलीजेंट मैंनेजमेंट सिस्टम में 209.13 करोड़ रुपये खर्च किए. जिसमें अत्यन्त गड़बड़ी हैं, जिसमें बिना सर्वे किए हुए लगाए सिग्नल को बंद कर दिया गया है, जो करोड़ों के हैं. 210 करोड़ रुपये खर्चा करने के बावजूद भी यातायात व्यवस्था नहीं सुधरी और तो और अपराध भी बढ़ गए हैं.
  7. अंडर ग्राउंड बिन्स-5 करोड़ रुपये के लगभग खराब हो चुके हैं.
  8. ईवेंट एजेंसी (पी.आर.एजेसी) को 80 लाख रुपये स्वीकृत हैं.
  9. 93 लाख का भवन रिनोवेट कराया गया था. जबकि स्मार्ट सिटी का ऑफिस अन्यत्र स्थान से संचालित हो रहा है.
  10. 2 करोड़ का प्लेस मेकिंग कार्य का खर्च दिखाया जा रहा हैं. जो कि 14 फायनेंस के मद से भी किया गया है.
  11. 29 करोड़ के सुविधाहीन मल्टीलेबल पार्किंग खोले गए.
  12. लगभग 8 करोड़ की लागत से प्लांटेशन किये गये जो कि देखरेख के आभाव में ज्यादातर मर गए हैं. इसका जिम्मेदार कौन है?
  13. वार्डों के अंदर अपने लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए लैंडस्कैपिंग कार्य करवाया गया. जो कि नगर निगम के स्तर का कार्य है.
  14. तालाब में 5 करोड़ 24 लाख की लागत से म्यूजिकल फाउंटेन लगाया गया जो कि चलता ही नहीं है और भुगतान पूरा कर दिया गया है.
  15. एक छोटे से तालाब में 35 करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए और बच्चों के स्कूल आने जाने के मार्ग को बंद कर दिया गया.
  16. 24 करोड़ रुपये की अवैध चौपाटी जिससे शहर कि जनता सबसे ज्यादा परेशान है. इसमें हम आपका हस्तक्षेप चाहते हैं क्योंकि उक्त क्षेत्र चारों और से शैक्षणिक संस्थानों से घिरा हुआ है. शहर के जी.ई. रोड़ में 65 गुमटीनुमा दुकान लगाकर माहौल खराब करने की तैयारी है. जो पूरी तरह से नियम कानून की धज्जियां उड़ाते हुए बना रहे हैं. जिससे सारा शहर उत्तेजित है. जब इस प्रोजेक्ट को बनाया गया था. तब यह कुछ और था जिसमें यूथ हब के नाम से स्टुडेंट के लिए वॉकिंग ट्रैक और स्पोर्ट्स एक्टिविटी, ओपन थियेटर, डिस्कशन पॉइंट का प्रवधान था. जिसे वर्तमान में सिर्फ चौपाटी तक सीमित कर दिया गया है. इसी प्रकार का प्रयोग एक अन्य स्थान मोतीबाग में यूथ हब के नाम पर लगभग 3 वर्ष पूर्व किया गया था. जो असफल हो गया और आज तक प्रारंभ नही हो पाया. अपने लोगों को फायदा दिलाने के लिए 65 गुमटी बनाकर शहर के युवाओं के भविष्य को खतरे में डाला जा रहा हैं.
  17. निर्माणाधीन 129 परियोजना में अनेक काम प्रारंभ भी नहीं हुए हैें पर भारत सरकार से फंडिग लेने के लिए 80 से 90 प्रतिशत कार्य को पूर्ण बताया जा रहा है.