पटना। बिहार की राजनीति में दशहरे के दिन बड़ा उलटफेर देखने को मिला। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता और चार बार विधायक रहे जनार्दन यादव ने पार्टी का साथ छोड़ दिया और प्रशांत किशोर (PK) की जनसुराज पार्टी का दामन थाम लिया। इस कदम को भाजपा के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।

प्रशांत किशोर ने किया स्वागत

जनसुराज आंदोलन के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने जनार्दन यादव को पार्टी की सदस्यता दिलाई। उन्होंने कहा कि भाजपा ने यादव जैसे वरिष्ठ नेता का सम्मान नहीं किया जबकि जनसुराज ने हमेशा अनुभवी नेताओं को महत्व दिया है। जनसुराज के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह ने भी उनका स्वागत करते हुए कहा कि अररिया की राजनीति में यादव का अलग स्थान है और उनके आने से पार्टी को मजबूती मिलेगी।

भाजपा पर साधा निशाना

जनार्दन यादव ने भाजपा से नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि पार्टी के शीर्ष नेताओं ने उन्हें लगातार दरकिनार किया। उन्होंने कहा 2015 में चुनाव हारने के बाद भी मैं जनता के बीच सक्रिय रहा लेकिन मेरी उपेक्षा की गई। भाजपा जनता की समस्याओं को नजरअंदाज कर रही है। राज्य में पलायन अपराध और भ्रष्टाचार चरम पर है।

प्रशांत किशोर की सोच से प्रभावित

यादव ने जनसुराज से जुड़ने की वजह बताते हुए कहा कि वे प्रशांत किशोर की सोच और दृष्टिकोण से प्रभावित हैं। उन्होंने कहा कि पीके बिहार की राजनीति को नई दिशा और दशा देने का प्रयास कर रहे हैं और वे भी इस मिशन का हिस्सा बनकर प्रदेश के विकास में योगदान देना चाहते हैं।

राजनीतिक सफर

जनार्दन यादव पहली बार 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर विधायक बने थे हालांकि कम उम्र के कारण उनका चुनाव रद्द हो गया। इसके बाद 1980 में उपचुनाव में भाजपा के टिकट पर जीत हासिल की। वह 2000 और 2005 में भी भाजपा से विधायक चुने गए। लेकिन 2015 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।