दुर्ग। छत्तीसगढ़ की दबंग नेत्री, महाराष्ट्र की प्रभारी और पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव जब सामने होती हैं तो पत्रकार भी बेबाकी से सवाल पूछते हैं, उन सवालों का जवाब भी वो उतने ही बेबाकी से ही देती हैं। लेकिन दुर्ग में ऐसा क्या हुआ कि सरोज पाण्डेय से सवाल पूछने पर भाजपाई पत्रकारों को रोकने लगे।

भई रोकेंगे क्यों नहीं सवाल उनकी पार्टी से जुड़े एक व्यक्ति के बारे में हो रहा था। देश की बड़ी क्रूरतम घटनाओं में से एक घटना पर किया जा रहा था। सवाल जिले के राजपुर में 350 से ज्यादा गायों की निर्ममता से की गई हत्या पर हो रहा था। जामुल नगर पालिका के उपाध्यक्ष और भाजपा नेता हरीश वर्मा को लेकर सवाल किया जा रहा था।

सरोज उन सभी सवालों का जवाब भी दे रही थीं। लेकिन भाजपाईयों की उस भीड़ में एक नेता ऐसे भी थे जिन्हें वो सवाल ज्यादा चुभ रहे थे। शायद रोकने वाले नेताजी गायों को भूख से मारने वाले हरीश वर्मा का करीबी रहा हो। हो सकता है उनका ये रिश्ता पार्टी के साथ ही व्यवसायिकता का भी रहा हो। सवाल जब हो रहे थे तो कभी वे गुस्से में पत्रकारों को आंख दिखाते तो कभी किसी का जोर से हाथ दबाने लगते। हालांकि न पत्रकारों के सवाल रुके और न ही सरोज पाण्डेय के जवाब।

शायद उन नेताजी को यह नहीं मालूम कि यह लोकतंत्र है और लोकतंत्र में जनप्रतिनिधि जनता के प्रति जवाबदेह होते हैं और अगर पत्रकार सवाल नहीं करेगा तो फिर कौन करेगा। और प्रजातंत्र को जिंदा रखना है तो सवाल भी जरुरी है।