नेहा केसरवानी, रायपुर। भारतीय जनता पार्टी ने कलेक्टरों को रासुका लगाने का अधिकार देने के लिए जारी अधिसूचना का विरोध किया है. पार्टी ने अधिसूचना को काला कानून करार देते हुए सरकार से तत्काल वापस लेने की मांग की. इसके साथ ही प्रदेश में बीजेपी की सरकार आने पर धर्मांतरण विरोधी कानून लाए जाने की बात कही. इसे भी पढ़ें : रासुका लगाए जाने आरोप पर कवासी लखमा का पलटवार, कहा- भाजपा के पास कोई मुद्दा नहीं, छत्तीसगढ़ के लोगों को बदनाम करने का कर रहे काम…

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि 28 दिसंबर 2022 को राज्य सरकार ने अधिसूचना जारी की. राजपत्र में 30 जनवरी को प्रकाशित हुआ और 1 जनवरी से लागू हो गया है. इसमें 31 जिला कलेक्टरों को रासुका लगाने का अधिकार सरकार ने दिया है.

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उन्होंने अधिसूचना का विरोध करते हुए कहा कि यह आपातकाल में झोंकने जैसा है. ये अधिसूचना सरकार के खिलाफ उठने वाली आवाज को दबाने का षडयंत्र हैं. यह अधिसूचना तानाशाही करने के लिए लाया गया है. सरकार के खिलाफ बोलने वाले, सवैंधानिक अधिकार के लिए लिखने वाले के लिए ये घातक हैं.

पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने देश में आपातकाल लगाए जाने के दिनों को याद करते हुए कहा कि बीजेपी की सरकार ने इसे समाप्त किया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकार ने रासुका कानून बनाया, यह कानून लोकतंत्र विरोधी हैं. ये कानून न होकर कांग्रेस सुरक्षा क़ानून हैं. इस कानून के तहत बिना कारण के रासुका लगाकर एक साल के लिए जेल में डाला जा रहा है. यह आपातकाल लगाने की साजिश है.

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डॉ. रमन सिंह ने कहा कि पहले धर्मांतरण को बढ़ावा देने की साजिश की. आज गम्भीर कदम उठाने के क्या कारण हैं? क्या अपने दायित्वों को निभाने में सरकार असफल है? कुर्सी नहीं सम्भल रही तो इस्तीफा दें. धर्म विशेष के सामने उन्होंने आत्मसमपर्ण कर दिया है. सोनिया गांधी ने दबाव डाला. सोनिया गांधी के दबाव से आदिवासियों को कुचलने का प्रयास किया.

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पूर्व मुख्यमंत्री ने सवाल किया कि ऐसी क्या परिस्थिति थी जो रासुका लगाने की नौबत आई? 12 दिन तक इस फैसले को छुपा कर क्यों रखा गया? सुकमा के कमिश्नर और एसपी ने ईसाई मशीनरी के खिलाफ चेतावनी पहले ही दी थी कि आदिवासियों के बीच माहौल बिगड़ रहा है. श्वेत पत्र जारी कर सरकार काले कानून को तत्काल वापस ले.