अंकुर तिवारी. कांकेर. छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाकों में पत्थर गाड़ कर अपने अधिकार की मांग करने वाला ‘पत्थलगड़ी’ अभियान पर जारी राजनैतिक बयानबाजी थमने का नाम नहीं ले रही है। कांग्रेस प्रवेश करने के बाद पहली बार कांकेर पहुंचे आदिवासी नेता अरविंद नेताम ने आदिवासियों के ‘पत्थलगड़ी’ मामले में सरकार पर निशाना साधा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री तथा बस्तर के बड़े आदिवासी नेताओं में शुमार अरविंद नेताम का कहना है कि कानून ने ‘पंचायत एक्सटेंशन इन शिड्यूल एरिया’ में ग्राम सभा को सर्वोपरि अधिकार दिये हैं।
अरविंद नेताम ने कहा कि संवैधानिक अधिकारों में कटौती होती जा रही है, उन्हें कमज़ोर किया जा रहा है। यह उसका ही उबाल है। उन्होंने आगे कहा कि चुनावी साल में वोटों का ध्रुवीकरण करने के लिए ही भाजपा द्वारा पत्थलगड़ी का राजनीतिकरण किया जा रहा है। जबकि मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह ‘पत्थलगड़ी’ को धर्मांतरण से जोड़कर फंस चुके हैं। अरविंद नेताम ने पत्रकारों से कहा कि मैने मुख्यमंत्री से कहा कि धर्मांतरण करने वाले चुपचाप अपना काम करते हैं। वे लोग आंदोलन नहीं करते हैं। छत्तीसगढ़ में हालात आदिवासियों के बर्दास्त के बाहर हो गया जिससे समाज अपने हक की लड़ाई लड़ रहा है। इसके पहले भी 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ आदिवासी समाज एकजुट होकर लड़ाई लड़ा था। मुख्यमंत्री को खुद आदिवासियों से पत्थलगड़ी मामले में बातचीत करनी चाहिए।
गौरतलब है कि चुनावी साल में आदिवासियों ने ‘पत्थलगड़ी’ मामले में सरकार के ख़िलाफ़ अपना अभियान ऐसे समय में शुरु किया है, जब राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह अपनी सरकार के 15 सालों उपलब्धियों को बताने के लिये विकास यात्रा पर निकले हुए हैं। जबकि राज्य की विपक्षी पार्टी कांग्रेस इस पूरे मसले को सीधे-सीधे राज्य के विकास से जोड़ रही है। कांग्रेस पार्टी ने ‘खोजो विकास’ नाम से एक अभियान भी गांव-गांव में शुरु किया है। पार्टी का कहना है कि आदिवासी इलाकों के हालात बेहद ख़राब हैं, इसलिए आदिवासियों को संविधान में दिये गये अपने अधिकारों के लिये ‘पत्थलगड़ी’ जैसे अभियान को चलाना पड़ रहा है।
दूसरी ओर, मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा था कि पत्थलगड़ी का कोई विरोध नहीं है. विरोध करता हूं उन ताक़तों का, जो पत्थलगड़ी के नाम से विभाजन रेखा खींचना चाहती है। ये चुनाव की दृष्टि से षड़यंत्र है और एक प्रकार से ताक़त है, जो धर्मांतरण को बढ़ावा देना चाहती है।