लखनऊ. लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अब कुछ ही महीने बचे हैं. इससे पहले नेताओं की बयानबाजी तेज हो गई है. सपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भाजपा को लेकर बड़ा दावा किया है. उन्होंने कहा कि इस चुनाव में भाजपा का अंत तय है. भाजपा अपने ही लोगों से हारेगी.
अखिलेश यादव ने रविवार को पीडीए (पिछड़ा, दलित व अल्पसंख्यक) में विश्वास करने वालों का हवाला देते हुए कहा कि एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यकों की 91 प्रतिशत आबादी इस बार पीडीए के लिए एकजुट होकर वोट करेगी और भाजपा के समीकरण तथा फॉर्मूले इस बार फेल हो गए हैं. उन्होंने यह भी दावा किया कि भारतीय जनता पार्टी अपनों से ही हारेगी. यादव ने यह भी कहा कि भाजपा उम्मीदवारों के चयन में काफी पीछे रह गई है और उसे उम्मीदवार ही नहीं मिल रहे हैं क्योंकि कोई भी हारने के लिए लड़ना नहीं चाहता है.
सपा प्रमुख यादव ने रविवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर अपने एक पोस्ट में कहा- ‘‘पीडीए में विश्वास करने वालों का सर्वे, कुल मिलाकर 90 प्रतिशत की बात. यादव ने कहा कि 49 प्रतिशत पिछड़ों का विश्वास पीडीए में है, 16 प्रतिशत दलितों का विश्वास पीडीए में, 21 प्रतिशत अल्पसंख्यकों (मुस्लिम, सिख, बौद्ध, ईसाई, जैन व अन्य आदिवासी) और चार प्रतिशत अगड़ों में पिछड़ों (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) का विश्वास पीडीए में (उपरोक्त सभी में आधी-आबादी मतलब महिलाएं सम्मिलित हैं). इन 90 प्रतिशत में से अधिकांश इस बार पीडीए के लिए एकजुट होकर वोट करेंगे. यादव ने ‘पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक’ के लिए ‘पीडीए’ शब्द गढ़ा है और आगामी लोकसभा चुनाव में सपा पीडीए पर ध्यान केंद्रित कर रही है. उन्होंने सत्तारूढ़ भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा इसी कारण न कोई गणित बैठा पा रही है, न कोई समीकरण. इसीलिए भाजपा के पिछले सारे फॉर्मूले, इस बार फेल हो गये हैं. भाजपा उम्मीदवारों के चयन में बहुत पीछे छूट गई है. भाजपा को उम्मीदवार ही नहीं मिल रहे हैं. उन्होंने कहा कि यहां तक कि भाजपा की मुख्य समर्थक रहीं महिलाएं भी इस बार पार्टी को वोट नहीं देंगी.
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सपा प्रमुख ने दावा किया कि हारने के डर से भाजपा का टिकट लेकर कोई चुनाव लड़ना नहीं चाहता है. महिलाएं जो भाजपा की मुख्य समर्थक रही हैं, वे भी पहलवानों की दुर्दशा, मणिपुर की वीभत्स घटना, मां-बेटी को जलाने के कांड जैसी अन्य कई नारी अपमान की घटनाओं को लेकर शर्मिंदगी महसूस कर रही हैं और अबकी वे भी भाजपा का साथ नहीं देंगी. उन्होंने इसी पोस्ट में कहा कि साथ ही नौकरी या भर्ती की उम्मीद लगाये बैठे जो युवा भाजपा राज में हताश हुए हैं, वो सब भी इस बार भाजपा को हराने-हटाने के लिए ही वोट देंगे. यादव ने कहा कि अपने को बुद्धिजीवी समझने वाले समाज में जो लोग तथाकथित नैतिकता व राजनीतिक ईमानदारी के नाम पर भाजपा की ओर देखते थे, वो महाराष्ट्र, बिहार, चंडीगढ़ महापौर चुनाव और झारखंड की सत्ता के लालच से भरी अनैतिक व भ्रष्ट व्यवहार की घटनाओं से न केवल क्षुब्ध हैं बल्कि व्यथित भी हैं.”
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे लोग बहुत ज़्यादा हैं, इनकी निष्क्रियता भी भाजपा के वोट में भारी कमी करेगी. भाजपा अपनों से ही हारेगी. उन्होंने कहा कि किसानों के बीच दोगुनी आय के झूठे वादों, फसल को नुकसान पहुंचाते पशुओं से छुटकारा दिलाने की झूठी गारंटियों, महंगी होती कृषि की लागत के कारण भाजपा विरोधी लहर है. यादव ने कहा कि जीएसटी की बदइंतजामी भाजपा के परंपरागत कारोबारी वोटर मतलब दुकानदारों, व्यापारियों व छोटे कारखाना मालिकों को पहले ही पार्टी से दूर कर चुकी है. भाजपा अपने अरबपति साथियों के लिए मजदूर व श्रमिक विरोधी नियम-कानून लाकर मेहनत-मजदूरी का पैसा मार रही है, इसलिए मजदूर-किसान भी भाजपा के पूरी तरह खिलाफ हो गया है. इस चौतरफा विरोध के माहौल में भाजपा उप्र में हार मानकर बैठ चुकी है. भाजपा के नेतागण जन आक्रोश देखकर भागे-भागे फिर रहे हैं और बाक़ी बचे स्वार्थी भाजपाई समर्थक अपनी पुरानी परम्परा को निभाते हुए भूमिगत हो गये हैं.” सपा प्रमुख ने नारा दिया है – ‘‘ली है ‘पीडीए’ ने अंगड़ाई, भाजपा की शामत आई.
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