रायपुर। विधानसभा चुनाव से महज 14 महीने पहले भारतीय जनता पार्टी ने छत्तीसगढ़ अध्यक्ष के तौर पर जब अरुण साव ने कमान संभाली थी, तब पार्टी कार्यकर्ता निराशा के गर्त में डूबे थे. लेकिन अल्प कार्यकाल में अरुण साव ने कार्यकर्ताओं में वह ऊर्जा भर दी, जिनकी मेहनत के बदौलत पार्टी 15 सीटों के अपने न्यूनतम स्तर से 54 सीटों के शिखर पर पहुंच गई. आज जब वे पार्टी अध्यक्ष का दायित्व सौंप चुके हैं, तब वे सीना फुलाकर गर्व के भाव से पीछे मुड़कर देख सकते हैं.
छत्तीसगढ़ गठन के बाद से प्रदेश भाजपा की कमान छह नेताओं ने संभाला है. पार्टी अध्यक्ष का दारोमदार सबसे पहले डॉ. रमन सिंह ने संभाला था. उनके नेतृत्व में 2003 के विधानसभा चुनाव में भाजपा 50 सीटों पर जीत हासिल कर सत्ता पर काबिज हुई थी. वहीं सत्ता पर काबिज कांग्रेस 37 सीटों पर जीत हासिल कर विपक्ष में बैठने को मजबूर हुई थी.
डॉ. रमन सिंह के छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बनने के बाद पार्टी की कमान विष्णुदेव साय को मिली. साय के नेतृत्व में 2008 विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अपना प्रदर्शन दोहराते हुए फिर से 50 सीटों पर जीत हासिल की, लेकिन अबकी बार वोट प्रतिशत बढ़कर 39.26 से 40.33 प्रतिशत पर पहुंच गया.
विष्णुदेव साय के बाद छत्तीसगढ़ भाजपा की कमान रामसेवक पैकरा को मिली. पैकरा के नेतृत्व में पार्टी ने 2013 का चुनाव लड़ा. इस बार पार्टी की सीट कम हुई, लेकिन वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई. भाजपा को 49 सीटें मिली, वहीं वोट प्रतिशत 41.04 प्रतिशत पहुंच गया.
रामसेवक पैकरा के बाद पार्टी आलाकमान ने प्रदेश की जिम्मेदारी धरमलाल कौशिक को सौंपी. कौशिक के नेतृत्व में 2018 के चुनाव में उतरी पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा. भाजपा की सीटें एक झटके में 49 से घटकर 15 पर पहुंच गई. वोट प्रतिशत भी एक झटके में 41.04 से गिरकर 32.97 प्रतिशत पर पहुंच गया.
भाजपा के नेताओं-कार्यकर्ताओं के लिए एक ऐसा समय था, जिसकी कल्पना उन्होंने सपने में नहीं की थी. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस आने वाले सालों में भी सत्ता पर अपनी पकड़ को बनाए रखने के लिए जनता को लुभाने के लिए तमाम काम कर रही थी.
निराशा के गर्त में डूबी पार्टी का नेतृत्व साहू समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले अरुण साव को सौंपकर आलाकमान ने सबको चौंका दिया. लेकिन पार्टी की कमान सम्हालते ही अरुण साव ने पार्टी कार्यकर्ताओं में जान फूंकने का काम शुरू किया. बिलासपुर की राजनीति से उठकर राजधानी की राजनीति में सामंजस्य बनाने के बाद दिल्ली का सफर शुरू किया.
महज 14 महीनों के अंतराल में अरुण साव ने राज्य और केंद्रीय नेतृत्व के साथ मिलकर पार्टी को शिखर पर पहुंचा दिया. 2023 विधानसभा चुनाव में न केवल भाजपा को 54 सीटों पर ऐतिहासिक जीत दिलाई, बल्कि वोट प्रतिशत को भी 46.27 प्रतिशत के ऐतिहासिक स्तर पर ले गए. आज पार्टी की कमान किरण सिंहदेव को सौंप चुके अरुण साव गर्व के भाव से पीछे मुड़कर देख सकते हैं.