रायपुर। भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति में कृषि प्रस्ताव पारित करते हुए तीनों कृषि विधेयकों के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त किया गया। प्रस्ताव में कहा गया कि इन विधेयकों से कृषि के क्षेत्र में एक नए युग की शुरूआत होगी। यह कार्यसमिति में तय किया गया है कि मोदी सरकार की कृषि नीतियों और किसानों के कल्याण की तमाम उपलब्धियों को घर-घर तक पहुंचाया जाएगा। इसके साथ ही कार्यकर्ताओं को प्रदेश सरकार की किसान नीतियों के खिलाफ आंदोलन-प्रदर्शन के लिए तैयार रहने के लिए कहा गया है।

प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में किसानों को राहत प्रदान करने के लिए राज्य सरकार से बकाया बोनस, 20 क्विंटल धान खरीदी सहित 8 बिन्दुओं पर मांग की गई है। साथ ही सरकार को इन मांगों के साथ चेतावनी भी दी गई है कि अगर उनकी इन मांगों पर जल्दी निर्णय नहीं लिया जाएगा तो पार्टी किसानों के हित में सरकार के खिलाफ सड़क की लड़ाई लड़ेगी।

वहीं कृषि प्रस्ताव को लेकर पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि मंडियों में जो धान बेचा जा रहा है, साथ ही मंडियों से समर्थन मूल्य से कम में कोई उत्पाद न खरीदा जाए, पीड़ित किसानों को मुआवजा दिया जाए, केंद्र की 20 योजनाओं का लाभ किसानों को दिलाए,
एक नवम्बर से धान खरीदी की जाए, किसानों के समर्थन में बीजेपी लगातार घेराव करेगी।

ये है मांगें

  1. मंडियों में भी एमएसपी सुनिश्चित हो : प्रदेश की यह कार्ससमिति कांग्रेस सरकार से मांग करती है। कि समर्थन मूल्य पर मंडियों में भी फसल बेचना सुनिश्चित करे। एमएसपी से कम कीमत पर फसल बेचने को मजबूर होना प्रदेश में किसानों को बदहाली की गर्त में धकेल देगा।

2. धान के कीमत की कुल राशि एकमुश्त दिए जायें : देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए कृषि कानून में यह स्पष्ट रूप से तय किया है कि किसानों को उनकी उपज का मूल्य तीन दिनों के भीतर मिल जाय। अतः इस सीजन से केंद्र के नए क़ानून का सम्मान करते हुए 72 घंटे के भीतर एकमुश्त भुगतान होना सुनिश्चित हो। पिछले सभी बकाया भुगतान भी एक साथ कर दिए जायें।

3. प्रति एकड़ न्यूनतम 20 क्विंटल धान खरीदे जायें : केंद्र की भाजपा नीत सरकार ने केन्द्रीय पूल में डेढ़ गुना अधिक चावल खरीदने की घोषणा की है। अब केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ से 60 लाख टन चावल खरीदेगी। 60 लाख टन चावल के लिए 90 लाख टन धान की ज़रूरत होगी। अतः खरीदी की इस सीमा को 15 से बढ़ा कर 20 क्विंटल करना आवश्यक है।

4. एक नवम्बर से धान खरीदी शुरू किये जायें : पिछले सत्र में अंतिम समय तक धान खरीदी को लेकर अनिश्चितता रही। तब प्रदेश सरकार पूरी तरह कन्फ्यूज दिखी थी। समूचे प्रदेश में अफरातफरी का माहौल था, जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ा। अतः पूर्व की भाजपा सरकार की तरह ही धान खरीदी एक नवम्बर से शुरू किये जायें।

5. दो वर्ष के बकाये बोनस का भुगतान शीघ्र किये जायें: घोषणा पत्र में स्पष्ट वादा करने के बावजूद आजतक किसानों के दो साल के बकाये बोनस का भुगतान नहीं किया गया जाना किसानों के साथ विश्वासघात है। यह भुगतान शीघ्र सुनिश्चित हो।

6. धान का रकबा कम करने की कवायद बंद हो : गिरदावरी के बहाने प्रदेश में शासन द्वारा किसानों का रकबा घटाने की कोशिश हो रही है। शासन को दाना-दाना धान खरीदी के अपने कर्तव्य से बचने की ऐसी कोई कोशिश नहीं करना चाहिए। किसानों का रकबा एक इंच भी नहीं घटाये जायें।

7. भंडारण-परिवहन के नाम पर अब किसानों की प्रताड़ना न हो : केंद्र सरकार द्वारा कानून बनाकर अब फसल के भण्डारण/परिवहन की आज़ादी सबको दी गयी है। उस कानून का सम्मान करते हुए कांग्रेस सरकार यह घोषणा करे कि ऐसे किसी बहाने से अब वह किसानों को परेशान नहीं करेगी, उन पर दमनकारी मुकदमें आदि नहीं करेगी।

8. पीड़ित किसानों को मुआवजा दिए जायें : प्रदेश के कांग्रेस के शासन काल में नकली बीज/कीटनाशक से बर्बाद हुए फसल के कारण आत्महत्याओं की दुर्भाग्यजनक ख़बरें लगातार आ रही है। अतः बिचौलियों, कम्पनियों पर लगाम लगाए जायें। जिनपर इसे रोकने का दायित्व है, उनकी जिम्मेदारी तय हो। आत्महत्या करने वाले किसानों के परिजनों को उचित मुआवजा दिए जायें। प्रदेश में बाढ़, अतिवृष्टि एवं अन्य आपदाओं से फसल को काफी नुकसान हुआ है, ऐसे सभी पीड़ित किसानों को भी क्षतिपूर्ति दिए जायें।