जयपुर. शहर के चांदी के टक्साल में जयमहल के नजदीक स्थित काले हनुमान का मंदिर देश-दुनिया में प्रसिद्ध है. यहां सालभर श्रद्धालुओं की भीड़ होती है. खास कर मंगलवार और शनिवार के दिन ये संख्या और बढ़ जाती है. इस मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति चांदी की है. लेकिन मूर्ति सिंदूरी या लाल नहीं काले-श्याम वर्ग लिए हुए है. काले हनुमानजी अपने अद्वितीय रंग देवता के लिए विश्वव्यापी प्रसिद्ध हैं.
मंदिर का इतिहास
काले हनुमान मंदिर जयपुर में भारत के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है जिसे 1000 साल पहले बनाया गया था. इस मंदिर का स्वरूप मनमोहक है. बाहर से देखने पर यह मंदिर महल जैसा दिखाई देता है. इस मंदिर में भगवान राम के साथ-साथ अन्य देवी-देवताओं के भी प्रतिमा स्थापित हैं. इस मंदिर का निर्माण आमेर के राजा जयसिंह ने करवाया था. यह मंदिर न केवल पर्यटक बिंदु या गंतव्य के रूप में बहुत प्रसिद्ध है बल्कि इसकी प्राचीन लोकप्रियता और भारतीय परंपरा के लिए भी प्रसिद्ध है. Read More – अनंग त्रयोदशी पूजन से दाम्पत्य में प्रेम की होती है वृद्धि, जानिए इस पूजा की विधि …
इसके पीछे है पौराणिक कथा
इस मंदिर की कहानी विचित्र है और साथ ही भगवान हनुमान के काले होने का राज भी आपको चकित कर देगा. काले हनुमान जी के पीछे पौराणिक कथा है कि जब हनुमान जी ने अपनी शिक्षा पूरी कर ली तो गुरु सूर्य से गुरु दक्षिणा देने की बात की. इस गुरु सूर्य ने कहा कि मेरा बेटा शनिदेव मेरी बात नहीं मानता है. अगर तुम उसे मेरे पास ला दो तो मैं उसे ही गुरु दक्षिणा समझूंगा. Read More – World Most Expensive Potato : 50 हजार रुपए किलो बिकता है ये आलू, जानिए क्या है इसमें ऐसा खास …
कहा जाता है कि हनुमानजी सूर्य की बात मानकर शनि को लेने चले गए. हनुमानजी को देखते ही शनिदेव क्रोधित हो गए और उन कुदृष्टि डाल दी, जिस कारण उनका रंग काला हो गया. काफी मुश्किलों के बाद शनि महाराज जब हनुमान जी के हाथ लगे तो वह हनुमान जी की गुरु भक्ति के कायल हो गए. वह हनुमान जी के आगे नतमस्तक हो गए और कहा, ‘मैं आपकी गुरु भक्ति देख बहुत खुश हुआ हूं. हनुमान जी के इस कार्य से प्रसन्न होकर शनि देव ने कहा कि जो भी भक्त शनिवार को आपकी पूजा करेगा, उसके ऊपर किसी भी तरह की कोई संकट नहीं आएगा और यहीं कारण हैं कि काले हनुमान जी की पूजा मंगलवार से ज्यादा शनिवार के दिन होती हैं.
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