रवि गोयल, जांजगीर-चांपा. जिले के अधिकांश ग्राम पंचायतों में सरपंच सचिव पूरी तरह से बेलगाम हो चुके हैं. उन्हें ना तो ग्रामीणों की समस्या से कोई मतलब है और ना ही गांव के विकास कार्य से. आलम यह है कि अब ग्रामीणों को अपने छोटे-छोटे कार्यों को लेकर ब्लॉक मुख्यालय आना पड़ रहा है, क्योंकि उनके पंचायत कार्यालय अधिकांश समय बंद रहते हैं. जबकि पंचायत कार्यालय में ग्रामीणों के 90 प्रतिशत कार्य किया जा सकता है. मगर ग्रामीणों की समस्या से न तो सरपंच को मतलब है और न ही सचिव को. हैरत की बात यह है कि अपने पंचायत क्षेत्र की ऐसी दुर्दशा देख जनपद के अधिकारी भी चुप्पी साधे बैठे हैं.
गहरी नींद में जिम्मेदार
वहीं कोरोना कॉल में पंचायत सचिवों को घर पर रहकर कार्य करने की जो सुविधा मिली थी. आज भी उसी सुविधा के अनुरूप ग्राम पंचायत में कार्य चल रहा है. सचिव पंचायत के रजिस्टर और कामकाज अपने घरों से संपादित कर रहे हैं. ग्राम पंचायत के अधिकांश सचिव ऐसे हैं, जिनसे मिलना है तो उनके घर जाना होता है या फिर जनपद कार्यालय में बैठक में नजर आते हैं.
जनपद सीईओ की लापरवाही से बेलगाम हुए पंचायत सचिव
दरअसल, जनपद पंचायत सक्ती के सीईओ आकाश सिंह इस मामले को जरा भी गंभीरता से नहीं ले रहे हैं, जबकि रोजाना उनके ऑफिस के बाहर ग्रामीणों की भीड़ लगी रहती है. ग्रामीण अपने छोटे-छोटे कार्यों को लेकर तेज गर्मी में ब्लॉक मुख्यालय आते हैं, जबकि पंचायत में अगर सरपंच और सचिव बैठे होते तो उनको इतनी दूर आना नही पड़ता. मगर जनपद सीईओ सब कुछ देखकर भी आंखों में पट्टी बांधे बैठे हैं.
कलेक्टर के निर्देश को अधिकारियों का ठेंगा
बता दें कि, जांजगीर चांपा के कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला लगातार ब्लॉक तहसील का दौरा कर वहां के कामकाज की समीक्षा कर रहे है और अधिकारियों को बेहतर कार्य के लिए निर्देशित भी कर रहे है. मगर सक्ती ब्लॉक के लापरवाह अधिकारियों पर इसका कोई असर नहीं हो रहा है, जिसका खामयाजा आम नागरिक उठाना पड़ रहा है.
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