रायपुर. राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस पर आज स्वास्थ्य विभाग के सचिव प्रसन्ना आर. और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संचालक भोसकर विलास संदीपान ने डॉ. भीमराव अंबेडकर स्मृति चिकित्सालय के मॉडल ब्लड-बैंक में रक्तदान किया. रक्तदान के प्रति लोगों को जागरूक करने और स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देने के लिए हर साल 1 अक्टूबर को राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस मनाया जाता है. इस वर्ष यह ‘डोनेटिंग ब्लड इज एन एक्ट ऑफ सॉलिडरिटी. ज्वॉइन द इफर्ट एंड सेव लाइव्स (Donating blood is an act of solidarity. Join the effort and save lives)’ की थीम पर मनाया जा रहा है. विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा इस दिन रक्तदान शिविर और अन्य जागरूकता अभियान का आयोजन किया जाता है.

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सचिव प्रसन्ना आर. ने लोगों को स्वैच्छिक रक्तदान अभियान से जुड़कर बढ़-चढ़कर रक्तदान करने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि रक्तदान महादान है और समाज तथा मानवता की महान सेवा है. इस अभियान का उद्देश्य नियमित रूप से स्वैच्छिक रक्तदान के बारे में जागरूकता लाना है. उन्होंने सभी से बड़ी संख्या में आगे आकर इस नेक काम में अपने साथ अपने मित्रों, रिश्तेदारों और सहकर्मियों को भी रक्तदान के लिए प्रेरित करने की अपील की. उन्‍होंने कहा कि एक व्यक्ति के शरीर में 5 से 6 लीटर तक रक्त होता है और वह हर तीन महीने में एक बार रक्तदान कर सकता है.

ये कर सकते हैं रक्तदान

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संचालक भोसकर विलास संदिपान ने भी स्वैच्छिक रक्तदान कर लोगों से इस महाअभियान से जुड़ने की अपील की. उन्होंने कहा कि रक्त का निर्माण किसी यंत्र या मशीन से नहीं किया जा सकता. रक्त केवल मानव के शरीर में निर्मित होता है. गंभीर चोट के मामलों में, थैलेसीमिया, सिकलसेल, एनीमिया आदि रक्त विकारों से पीड़ित लोगों को समय पर रक्त मिलने से हर वर्ष लाखों लोगों की जान बचाई जा सकती है. उन्होंने बताया कि कोई भी व्यक्ति जिसकी उम्र 18 वर्ष से 65 वर्ष के बीच और वजन 45 किलो से अधिक है, वह रक्तदान कर सकता है.

बिना डोनर के रक्त कराया जा सकता है रक्त

डॉ. भीमराव अम्बेडकर अस्पताल के ब्लड-बैंक प्रभारी डॉ. विजय कापसे ने बताया कि यहां का मॉडल ब्लड-बैंक प्रदेश का स्टेट ऑफ द आर्ट ब्लड-बैंक है. यहां पर अस्पताल में भर्ती रहने वाले थैलेसीमिया, सेरेब्रल मलेरिया और विभिन्न गंभीर बीमारियों से जूझ रहे छोटे बच्चों को बिना डोनर के रक्त दिया जाता है. इसके साथ ही अत्यधिक रक्तस्राव की समस्या से जूझ रहीं स्त्री और प्रसूति रोग विभाग के मरीजों, ट्रामा सेंटर में आपात स्थिति में दुर्घटना का शिकार होकर आए और सिकलसेल से ग्रस्त मरीजों को भी बिना डोनर के रक्त उपलब्ध कराया जा रहा है.

स्वैच्छिक रक्तदान दिवस के अवसर पर आयोजित रक्तदान शिविर में पैथोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. अरविंद नेरल ने भी रक्तदान किया. उनका यह 119वां रक्तदान था. इसके साथ ही चिकित्सा महाविद्यालय की डॉ. राबिया परवीन सिद्दीकी और डॉ. रीति शर्मा ने भी रक्तदान किया. डॉ. अरविंद नेरल ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा यहां के ब्लड-बैंक को भविष्य में अलग ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग के रूप में विकसित किए जाने का निर्णय लिया गया है.

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