सजंय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती का एक सीन अचानक यू-ट्यूब में ट्रेंड कर रहा है. ये फिल्म 2018 में रिलीज हुई थी. हालांकि फिल्म रिलीज होने से पहले ही कई प्रकार के विवादों में थी.
संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावती’ प्रसिद्ध हिंदू राजपूत रानी पद्मिनी की किंवदंती पर आधारित है जिसका वर्णन सूफी कवि मलिक मुहम्मद जयसी द्वारा 1540 में लिखित कविता पद्मवत में मिलता है. वह मेवाड़ के राजपूत शासक रावल रतन सिंह की पत्नी थी. 1303 में दिल्ली सल्तनत के तुर्क शासक अलाउद्दीन खिलजी ने राजपूताना में चित्तौड़ किले को घेर लिया. रानी पद्मिनी को पकड़ने के लिए उसने आक्रमण कर लिया. मरने के पहले पुरुषों ने कई दुश्मनों को मार गिराया. वहीं रानी पद्मिनी ने कई महिलाओं के साथ अपना सम्मान बचाने के लिए जौहर किया.
रूपवान रानी पद्मावती की ये है कहानी
रानी पद्मावती को रानी पद्मिनी के नाम से भी जाना जाता है. वह 13-14 शताब्दी की एक महान भारतीय रानी थी. मलिक मुहम्मद जायसी ने महाकाव्य ‘पदमावत’ में सिंघल साम्राज्य की एक असाधारण सुंदर राजकुमारी का वर्णन किया है. चित्तौड़ के राजा रतन सेन को रानी की सुंदरता के बारे में बोलने वाले एक तोते हीरामन से पता चला था, जिसके बाद उन्होंने पद्मावती से शादी कर ली. वह रतन सिंह की दूसरी पत्नी थीं.
कहा जाता है कि वह बचपन में बोलने वाले एक तोते हीरामन की करीबी दोस्त बन गईं. जब पद्मिनी के पिता राजा गंधर्व सेन को बेटी और हीरामन के करीबी रिश्ते का पता चला, तो उन्होंने तोते को जान से मारने का आदेश दिया. हालांकि, हीरामन वहां से उड़ने में कामयाब हो गया और एक बहेलिये ने उसे पकड़कर एक ब्राह्मण को बेच दिया. उसके बाद रतन सेन ने ब्राह्मण से तोता खरीद लिया.
अलाउद्दीन खिलजी ने किया रतन सिंह का अपहरण
राघव चेतन नाम के शख्स चित्तौड़ के शाही दरबार में बैठते थे और राजा रतन सेन ने धोखाधड़ी करने पर उन्हें निकाल दिया था. बताया जाता है कि राघव चेतन ने रानी पद्मावती के बारे में दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी को बताया था, जिसके बाद खिलजी ने पद्मावती से मिलने का फैसला किया. अलाउद्दीन खिलजी ने रानी पद्मिनी को पाने के लिए रतन सिंह का अपहरण किया. जब रतन सेन ने रानी पद्मिनी को देने से इंकार कर दिया, तो खिलजी ने रतन सेन को शांति संधि का धोखा दिया और उसे दिल्ली ले गया. बाद में रानी पद्मिनी ने राजा रतन सिंह के भरोसेमंद सामंतों से मदद ली और उन्हें दिल्ली से बचा लिया.
इस बीच जब राजा रतन सिंह दिल्ली से बचकर भाग रहे थे, तो कुंभलनेर के राजपूत राजा देवपाल ने रानी पद्मावती को शादी के लिए प्रस्ताव दिया. जब राजा रतन सिंह वापस चित्तौड़ आए और उन्हें देवपाल की इस हरकत के बारे में पता चला, तो उन्होंने देवपाल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. दोनों के बीच हुए युद्ध में राजा देवपाल और रतन सिंह दोनों ने एक-दूसरे की हत्या कर दी. रतन सिंह की मौत के बाद अलाउद्दीन खिलजी ने एक बार फिर चित्तौड़ पर हमला कर उसे जीतने की कोशिश की. मगर, रानी ने इस बार जौहर व्रत (आग में कूद जाना) ले लिया. उनके साथ राजमहल की हजारों वीरांगनाओं ने अपनी जान दे दी. खिलजी के हाथ में राख के अलावा कुछ नहीं आया.
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