मुंबई.बॉलीवुड एक्टर जितेंद्र पर शिमला में यौन शोषण मामले में एफआईआर दर्ज की गई है. यह मामला लगभग 47 साल पुराना है. 75 साल के जितेंद्र पर उनकी कजिन बहन ने कुछ वक्त पहले ही यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई थी. उन्होंने खुलासा किया कि जब वे महज 18 साल की थी तब 28 साल के जितेंद्र ने उनके साथ गलत काम किया था.

मीडिया में आई खबरों की मानें तो पीड़िता ने बताया कि जब वे 18 साल की थी जब जितेंद्र ने उनके पापा से कहा कि वे उन्हें फिल्म की शूटिंग दिखाने ले जा रहे हैं. शूटिंग दिखाने ले जाने के बहाने जितेंद्र ने उनके साथ गंदी हरकत की. इस घटना के बाद वे बहुत ज्यादा डर गई थी और कई सालों तक इस घटना पर कुछ भी रिएक्ट नहीं कर पाई. पीड़िता का कहना है कि उनके माता-पिता अब इस दुनिया में नहीं है और अब वे इस घटना की शिकायत दर्ज करवा रही है. ये मामला साल 1971 का बताया जा रहा है.

शिमला के एसपी उमापति जामवाल ने बताया है कि छोटा शिमला पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धारा 354 के तहत एफआईआर दर्ज़ कर ली गई है. पुलिस को मिली शिकायत के मुताबिक ये घटना 47 साल पहले की है जब पीड़िता 18 साल की थी और जितेंद्र 28 साल के. जितेंद्र को अपना कजिन बताने का दावा करने वाली महिला के मुताबिक जितेंद्र उस समय उनके दिल्ली स्थित घर पर आये और उन्हें शिमला में अपनी फिल्म की शूटिंग सेट पर ले गए. महिला के परिवार वालों ने घनिष्टता के चलते उन्हें जाने की इज़ाजत दे दी लेकिन वहां होटल ले जाकर नशे की हालत में जितेंद्र ने यौन शोषण किया. महिला के मुताबिक इतने समय तक वो चुप थीं लेकिन माँ- बाप के निधन के बाद उन्होंने ये कदम उठाने का फैसला किया, क्योंकि अगर उन्हें ये बात पता चलती तो उनका दिल टूट जाता. इतने सालों तक वो मानसिक रूप से इस यातना को झेल रही थीं. उक्त महिला को जल्द ही मजिस्ट्रेट के सामने अपना बयान दर्ज़ करवाने के साथ आरोपों के संबंध में सबूत भी देने होंगे.

वही इस मामले में जितेंद्र के वकील रिजवान सिद्दीकी ने पहले ही इस तरह के आरोपों को सिरे से खारिज़ करते हुए उसे बेबुनियाद बताया है. रिजवान कहा है कि करीब 50 साल पुराने इस तरह के बेबुनियाद और बकवास आरोपों को कोई भी कानून एंटरटेन नहीं करता. क़ानून के तहत भी कोई भी शिकायत तीन साल के भीतर करनी होती है, जिससे उसकी अच्छी तरह से जांच हो सके. साथ ही क़ानून किसी को भी इस तरह की इजाजत नहीं देता कि किसी कथित छिपे हुए उद्देश्य के तहत कोई भी किसी व्यक्ति के ख़िलाफ़ सार्वजानिक रूप से तथ्यहीन आरोप लगाए. ये उनके मुवक्किल को नुकसान पहुँचाने की साजिश है.