BOMBAY High Court On Dowry Case: पत्नी के कपड़ों और खाने पर तंज कसना क्रूरता या उत्पीड़न नहीं है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने दहेज उत्पीड़न मामले में एक फैसला सुनाते हुए टिप्पणी की। हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए पति और ससुराल वालों के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर और आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया। साथ ही महिला के पति को बरी कर दिया है।
बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने शुक्रवार (8 अगस्त) को एक महिला द्वारा अपने पति और ससुराल वालों पर दर्ज FIR और आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा कि, “पत्नी के ठीक से कपड़े न पहनने या सही से खाना न बना पाने जैसी बातें कहना ‘गंभीर क्रूरता’ या उत्पीड़न के दायरे में नहीं आता है। कोर्ट ने कहा कि, “बीवी के कपड़ों पर ताने मारना या खाना बनाने पर तंज कसना, भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 498A के तहत ‘गंभीर क्रूरता’ या ‘उत्पीड़न’ नहीं माना जा सकता है।
जस्टिस विभा कंकनवाड़ी और संजय ए. देशमुख की बेंच ने टिप्पणी करते हुए कहा, “जब रिश्ते बिगड़ते हैं, तो अक्सर आरोप बढ़ा-चढ़ाकर लगाए जाते हैं। यदि शादी से पहले सारी बातें स्पष्ट की गई थीं और आरोप सामान्य या कम गंभीर हैं, तो 498A की परिभाषा में यह क्रूरता नहीं मानी जाएगी। ऐसे मामलों में पति और उसके परिवार को ट्रायल का सामना कराना कानून का दुरुपयोग है।
क्या है मामला
दंपति की शादी 24 मार्च 2022 को हुई थी. यह महिला की दूसरी शादी थी, जिसने 2013 में आपसी सहमति से अपने पहले पति को तलाक दे दिया था। महिला ने आरोप लगाया था कि शादी के डेढ़ महीने बाद ही उसके साथ दुर्व्यवहार शुरू हो गया था। उसके पति की मानसिक और शारीरिक बीमारियों को उससे छिपाया गया था। हालांकि, कोर्ट ने पाया कि चार्जशीट में शामिल शादी से पहले की चैट से पता चलता है कि पति ने अपनी बीमारियों और दवाओं के बारे में बताया था। कोर्ट ने कहा कि महिला को शादी से पहले पति की बीमारी की जानकारी थी।
पत्नी ने यह भी आरोप लगाया कि दिवाली के आसपास ₹15 लाख की मांग फ्लैट खरीदने के लिए की गई, लेकिन कोर्ट ने इस पर संदेह जताया, क्योंकि पति के पास पहले से ही अपना फ्लैट था। कोर्ट ने यह भी कहा कि परिवार के सदस्यों के खिलाफ लगाए गए आरोप “सामान्य प्रकृति” के थे, जो धारा 498-ए के तहत “क्रूरता” के अनुरूप नहीं थे। कोर्ट ने पाया कि चार्जशीट में महिला के बयान के अलावा कोई और सबूत नहीं था। जांच अधिकारी ने पड़ोसियों से भी पूछताछ नहीं की थी। इसके बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए आरोपी पति को बरी कर दिया।
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