अजय सूर्यवंशी, जशपुर. देश के अलग-अलग राज्यों में खुले बोरवेल (open borewell) में लगातार हादसे हो रहे हैं. हादसों का ज्यादा शिकार बच्चे हो रहे हैं. छत्तीसगढ़ के जांजगीर जिले में कुछ महीने पहले हादसा हुआ था. यहां राहुल साहू नामक बच्चा बोरवेल (borewell) में गिर गया था जिसे रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर 105 घंटे बाद बोरवेल से जिंदा बाहर निकाला गया था. ये घटना पूरे देश में चर्चित रही. लेकिन ऐसी घटना के बाद भी प्रशासन की लापरवाही नजर आ रही है. इस बार खुले बोरवेल का मामला जशपुर (Jashpur) जिले से आया है. जहां अलग-अलग क्षेत्रों में बोरवेल खनन के बाद गड्डों को बंद नहीं किया गया है. खुले बोरवेल के पास बच्चे खेल रहे हैं. ऐसे में हर समय खतरा मंडरा रहा है कि कोई बड़ी घटना न घट जाए.

खुले बोरवेल के पास खेल रहे बच्चे

खुले बोरवेल (borewell) में लगातार हादसों के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के गाइडलाइन के बावजूद जशपुर प्रशासनिक अमला सबक लेने के लिए तैयार नहीं है. जिले के दूरस्थ ग्रामीण इलाकों में आज भी खुले बोरवेल को बंद करने की पहल नहीं होने से नन्हे बच्चों पर हर समय खतरा मंडरा रहा है. जिले के पत्थलगांव, बगीचा, और फरसाबहार क्षेत्र के दूरस्थ इलाकों में बोरवेल खनन के बाद इनको बंद करने का आवश्यक काम पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. बगीचा जनपद का गायबुड़ा गांव में जिला प्रशासन की सख्ती के बावजूद अनेक बोरवेल लंबे समय से खुले पड़े हैं.

गायबुड़ा गांव में कई ऐसे ही बोरवेल हैं, जहां हर समय छोटे बच्चे खेलते रहते हैं. इन खुले बोरवेल से बच्चों के परिजनों को भी खतरे का अंदेशा है लेकिन जनपद अधिकारी के निर्देश के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाला सरकारी अमला बेखबर बैठा है.

लल्लूराम की टीम ने जब ग्राउंड में जाकर इस बात की पड़ताल की तो जनपद सदस्य पार्वती यादव और पहाड़ी कोरवा बस्ती के दुहन राम कोरवा, दुर्गा राम व ग्रामीणों ने बताया की हमारे बस्ती में तीन साल पहले बोर खनन हुआ है. लेकिन तीन साल बीत जाने के बाद भी आज तक बोर या हैंडपंप नहीं डाला गया है. जिससे आए दिन हमे इस बोरवेल के गड्ढे से घटना होने का डर सताते रहता है. हमारे बस्ती के बच्चे यहां खेलते रहते है बोरवेल के पाइप को हम कपड़ा या बोरी से बांध कर रखते है लेकिन शरारती बच्चे निकलकर फेंक देते है. कोई स्थाई ढक्कन या हैंडपंप लग जाता तो हम राहत की सांस लेते.