BR Gavai Will Be 52nd Chief Justice: जस्टिस बीआर गवई (भूषण रामकृष्ण गवई) भारत के 52वें चीफ जस्टिस होंगे। भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में जस्टिस बीआर गवई के नाम की आधिकारिक सिफारिश की है। उनके नाम को मंजूरी के लिए केंद्रीय कानून मंत्रालय को भेज दिया है। इसी साथ ही जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई का भारत का 52वां और दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश (Dalit Chief Justice) बनना तय हो गया है। जस्टिस गवई को 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया था।
मौजूदा CJI संजीव खन्ना का कार्यकाल 13 मई को खत्म हो रहा है। लिहाजा बीआर गवई 14 मई 2025 को देश के 52वें चीफ जस्टिस के के रूप में शपथ लेंगे। CJI खन्ना के बाद वरिष्ठता सूची में जस्टिस गवई का नाम है। इसलिए जस्टिस खन्ना ने उनका नाम आगे बढ़ाया है। हालांकि, उनका कार्यकाल सिर्फ 7 महीने का होगा।

जस्टिस गवई देश के दूसरे दलित सीजेआई होंगे। उनसे पहले जस्टिस केजी बालाकृष्णन भारत के मुख्य न्यायाधीश बने थे। जस्टिस बालाकृष्णन साल 2007 में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बने थे।सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में जस्टिस गवई कई ऐतिहासिक फैसलों में शामिल रहे हैं। उनमें मोदी सरकार के 2016 के डिमोनेटाइजेशन के फैसले को बरकरार रखना और चुनावी बॉण्ड योजना को असंवैधानिक घोषित करना शामिल है।जस्टिस गवई के बाद जस्टिस सूर्यकांत वरिष्ठता सूची में आते हैं। संभावना है कि उन्हें 53वां चीफ जस्टिस बनाया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर दिए प्रोफाइल के मुताबिक जस्टिस गवई 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में प्रमोट हुए थे। उनके रिटायरमेंट की तारीख 23 नवंबर 2025 है।

महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था जन्म
जस्टिस गवई का 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में जन्म हुआ था। उन्होंने 1985 में कानूनी करियर शुरू किया। 1987 में बॉम्बे हाईकोर्ट में स्वतंत्र प्रैक्टिस शुरू की। इससे पहले उन्होंने पूर्व एडवोकेट जनरल और हाईकोर्ट जज स्वर्गीय राजा एस भोंसले के साथ काम किया।1987 से 1990 तक बॉम्बे हाईकोर्ट में वकालत की। अगस्त 1992 से जुलाई 1993 तक बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में सहायक सरकारी वकील और एडिशनल पब्लिक प्रोसीक्यूटर के रूप में नियुक्त हुए। 14 नवंबर 2003 को बॉम्बे हाईकोर्ट एडिशनल जज के रूप में प्रमोट हुए। 12 नवंबर 2005 को बॉम्बे हाईकोर्ट के परमानेंट जज बने।
बुल्डोजर एक्शन पर उठा चुके हैं सवाल
बीआर गवई को साल 1992 में बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में महाराष्ट्र सरकार का असिस्टेंट प्लीडर एंड असिस्टेंट पब्लिक प्रॉसिक्यूटर नियुक्त किया गया था। वे साल 2003 में हाईकोर्ट के एडिशनल जज बने. बीआर गवई साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट आए और अब सीजेआई बनने जा रहे हैं। पिछले साल बीआर गवई ने बुल्डोजर एक्शन पर सवाल उठाए थे।

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भीमराव अंबेडकर की कई बार कर चुके हैं तारिफ
जस्टिस बीआर गवई ने सोमवार (14 अप्रैल 2025) को भीमराव अंबेडकर की जयंती पर कहा कि संविधान निर्माण के लिए राष्ट्र सदैव उनका कृतज्ञ रहेगा। सुप्रीम कोर्ट परिसर में जस्टिस गवई ने कहा, “राष्ट्र सदैव डॉ. आंबेडकर का कृतज्ञ रहेगा, क्योंकि उनके और उनके सहयोगियों ने संविधान तैयार किया है। भारत मजबूत है, प्रगति कर रहा है और दुनिया में सबसे तेजी से विकास करने वाले देशों में से एक है। यह उनका दर्शन, विचारधारा और दूरदृष्टि ही है जो हमें एकजुट और मजबूत बनाए हुए है।
महत्वपूर्ण फैसले
नोटबंदी पर फैसला: जस्टिस बी.आर. गवई ने 2016 की नोटबंदी योजना को वैध ठहराते हुए बहुमत की राय लिखी थी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के पास मुद्रा अमान्य घोषित करने का अधिकार है और यह योजना ‘प्रोपोर्शनैलिटी टेस्ट’ (संतुलन की कसौटी) पर खरी उतरती है।
बिना प्रक्रिया के बुलडोजर कार्रवाई पर रोक: एक ऐतिहासिक फैसले में उन्होंने कहा कि किसी भी आरोपी की संपत्ति को बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के गिराना असंवैधानिक है। उन्होंने साफ किया कि कार्यपालिका (Executive) न तो न्यायाधीश बन सकती है और न ही कानून की प्रक्रिया के बिना तोड़फोड़ कर सकती है।
इलेक्टोरल बॉन्ड केस: जस्टिस गवई उस पीठ का भी हिस्सा रहे, जिसने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना की संवैधानिकता की जांच की थी। यह मामला राजनीतिक चंदों में पारदर्शिता को लेकर उठी चिंताओं से जुड़ा था।
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