कुमार इंदर, जबलपुर। जेल की सुरक्षा के बारे में माना जाता है कि वहां परिंदा भी पर नहीं मार सकता, लेकिन आपको अंदाजा भी नहीं होगा की उसी बेहद सुरक्षित मानी जाने वाली जबलपुर सेंट्रल जेल में बंद कैदियों को बड़े ही आराम से नशे का सामान पहुंचाने का काम किया जा रहा है वो भी फिल्मी स्टाइल में। जेल के अन्दर बंद कैदियों को उनके साथियों ने नशे का सामान पहुंचाने का यह नायाब तरीका निकाला है।
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किसी भी अपराधियों के दिल में कानून का खौफ पैदा करने के लिए उसके दिल में कानून का डर होना जरूरी है और इस कानून के डर को बनाए रखने के लिए अपराधियों को उनके किए गए अपराध के बदले सजा सुना कर जेल की चार दिवारियों में रखा जाता है। ताकि जब अपराधी अपनी सजा काट कर निकले तो उसे इस बात का एहसास रहे और फिर वह जिंदगी में दोबारा इस तरह के अपराध को अंजाम न दे। लेकिन जब वही अपराधी जेल के अंदर अपराध करने लगे या जेल के अंदर भी वही सारी चीज करने लगे तो फिर कानून और जेल की दीवारों का महत्व क्या रह जाता है। यह बात हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस सेंट्रल जेल के अंदर बैठे अपराधी, सजाया याफ्ता कैदियों के पास जेल में बैठे नशे का डोज पहुंच रहा है वो भी बिलकुल फिल्मी स्टाइल में, जबलपुर जेल प्रबंधन ने कुछ ऐसे ही मामले पकड़े है जिसमें फिल्मी स्टाइल में नशे का सामान कैदियों तक पहुंचा जा रहा था। जबलपुर सेंट्रल जेल प्रबंधन ने जेल के अंदर पहुंचाएं गए नशे के समान को बरामद कर उन्हें जला दिया है।
एक गेंद के जरिए पहुंचाया जाता है अंदर सामान
अब आपको बताते हैं कि आखिर सेंट्रल जेल में कड़ी सुरक्षा के बावजूद नशे का साजो सामान पहुंचता कैसे है। पता चला है कि कैदी अपने रिश्तेदारों या मिलने वालों को बाकायदा अपनी लोकेशन और टाइमिंग बताते हैं और ठीक उसी लोकेशन और टाइमिंग के अनुसार उनके साथियों द्वारा जेल की 20 फीट ऊंची दीवारों के बाहर से गेंद में नशे का सामान भरकर अंदर फेंक दिया जाता है।
बॉल को काटकर भरा जाता है नशे का सामान
नशे का सामान पहुंचाने के लिए रबर की बॉल को काटकर उसके अंदर गांजा, चरस, तंबाकू जैसे नशे के सामान को भरकर उसे फेवीकॉल से चिपकाया जाता फिर उसी बॉल को जेल के अंदर फेंक दिया जाता है। फिर उसी बॉल के अंदर भरे नशे को जेल के अंदर बैठे कैदी बड़े ही इत्मीनान से इस्तेमाल करते हैं।
पहले से तय रहती है लोकेशन और टाइमिंग
जेल के अंदर नशे का सामान पहुंचाने का खेल काफी लंबे समय से चल रहा है, जेल के अंदर नशे का सामान पहुंचाने वालों को यह बता दिया जाता है कि, सामान किस दिशा में, किस समय और कितनी स्पीड से फेंकना है ताकि वह उसे कैदी तक पहुंच सके। उसी तय प्लान के मुताबिक बाहर वाला व्यक्ति जेल की 20 फीट ऊंची दीवार पर से बॉल उछालकर कर नशे का सामान जेल के अंदर पहुंचाता है। वहीं इस मामले में जेल प्रबंधन का कहना है कि हमने इस तरह की घटना सामने आने के बाद जेल के दीवारों पर भी सीसीटीवी कैमरा लगाकर गार्ड तैनात कर दी है ताकि इस तरह की घटना दोबारा ना हो सके लेकिन सवाल यह खड़ा होता है कि क्या जेल की यह दीवारें भी अब सुरक्षित नहीं रही ।
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