सत्यपाल सिंह राजपूत. रायपुर. डीकेएस हॉस्पिटल में हुए घोटाला का सिलसिला अंतहीन हो चला है. रोजाना हो रहे खुलासे से डीकेएस की वास्तविक उपयोगिता को लेकर सशंकित होने लगे हैं. ऐसे माहौल में अब एक नया घोटाला एंबुलेंस संचालन को लेकर सामने आया है, जिसमें सेवा प्रदान करने वाली संस्था एंबुलेंस में तैनात ड्राइवर के साथ अन्य कर्मचारियों को तय दर की तुलना में कलेक्टर दर पर भुगतान कर रही है. इस गड़बड़ी का जानकारी होने पर अस्पताल अधीक्षक ने एंबुलेंस संचालक संस्था को नोटिस जारी किया है. फिलहाल जवाब का इंतजार है.
आइए बताते हैं क्या है पूरा मामला. एक तरफ सरकार जहां खर्चों में कमी कर डीकेएस हॉस्पिटल की माली हालत को सुधारने में जुटी हुई है, वहीं दूसरी ओर डीकेएस प्रबंधन हर महीने एंबुलेंस संचालन के लिए संचालक संस्था कैंप (कन्टीन्यू एक्शन एंड मोटिविशेनल प्रोग्राम) को भारी-भरकम रकम का भुगतान कर रहा है. इसके लिए समझौता हॉस्पिटल के पूर्व अधीक्षक डॉ. पुनीत गुप्ता के कार्यकाल में हुआ था. इसमें प्रति यूनिट एक लाख 89 हजार 500 रुपए की दर से 11 एंबुलेंस के लिए कैंप को 20,84,500 रुपए का भुगतान किया जा रहा है. इस रकम में एंबुलेंस में कार्यरत – डॉक्टर, काल ब्वाय, ईएमटी और ड्राइवर की सैलरी शामिल है. गड़बड़झाला इसी वेतन भुगतान में किया जा रहा है.
एंबुलेंस चलाने वाले ड्राइवरों को समझौते के अनुसार प्रतिमाह 12 हजार रुपए वेतन देना है, लेकिन ड्राइवरों की माने तो उन्हें कलेक्टर दर पर प्रति माह महज 8000 रुपए का भुगतान किया जा रहा है. ऐसा केवल ड्राइवरों के साथ ही नहीं बल्कि काल ब्वाय और ईएमटी के साथ भी हो रहा है, जिन्हें कलेक्टर दर पर ही भुगतान किया जा रहा है. रोजाना डीकेएस को लेकर हो रहे खुलासे के बाद जब एंबुलेंस ड्राइवरों को भी अपने वेतन में गड़बड़ी किए जाने की जानकारी हुई, तो उन्होंने हॉस्पिटल अधीक्षक डॉ. केके सहारे से मिलकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई. इस पर डॉ. सहारे से तत्काल संचालक संस्था को नोटिस जारी किया, लेकिन अब तक संचालक संस्था ने ड्राइवरों की सुध लेना तो दूर उनसे बात ही नहीं की है. अब ड्राइवर नई रणनीति बनाने में जुटे हैं.
डीकेएस प्रबंधन को हो रहा भारी नुकसान
डीकेएस डॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ. केके सहारे ने बताया कि वेतन वितरण में गड़बड़ी की शिकायत मिलने पर संचालक संस्था को नोटिस जारी किया गया है. जवाब मिलने के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी. वैसे भी एंबुलेंस संचालन में प्रबंधन को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. वहीं इस संबंध में कैंप के मैनेजर सुनील आनंद से जब संपर्क किया गया तो उन्होंने बाहर होने का हवाला देकर पल्ला झाड़ लिया.