रायपुर- बहुचर्चित फोन टेपिंग मामले की आरोपी रेखा नायर को लेकर चल रही ईओडब्ल्यू की जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. नायर की सर्विस बुक में कई विसंगतियां सामने आई है. जांच में सामने आए तथ्यों के आधार पर ईओडब्ल्यू ने अब इस दिशा में भी जांच आगे बढ़ाई है कि सर्विस बुक में तमाम खामियों के बावजूद नायर पर आखिर कैसे अफसरों की मेहरबानी बनी रही? सर्विस बुक में तमाम खामियों के बावजूद अब तक आखिर कैसे विसंगतियों को नजर अंदाज किया गया? मामले की गंभीरता को देखते हुए ईओडब्ल्यू ने रेखा नायर की सर्विस बुक और शैक्षणिक योग्यता से जुड़े प्रमाण पत्रों की जांच का जिम्मा दुर्ग एसपी को सौंपा है. ईओडब्ल्यू के आईजी जी पी सिंह ने लल्लूराम डाट काम से बातचीत में इस बात की पुष्टि की है कि रेखा नायर की सर्विस बुक में कई विसंगतियां हैं और इसकी जांच का जिम्मा दुर्ग एसपी को दिया गया है.
सूत्र बताते हैं कि ईओडब्ल्यू ने जांच के दौरान यह पाया कि विभागीय अभिलेखों में रेखा नायर के पिता का नाम दर्ज नहीं है, जबकि माता का नाम गिरजा नायर दर्ज है. कैरेक्टर सर्टिफिकेट यानी चरित्र सत्यापन रिपोर्ट ना तो सर्विस बुक में अटैच हैं और ना ही उनके व्यक्तिगत रिकार्ड में उपलब्ध है. जांच में रेखा नायर की शैक्षणिक योग्यता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. उनकी शैक्षणिक योग्यता में बीकाम सेकंड ईयर दर्ज है, जबकि सर्विस बुक में केवल बी काम फर्स्ट ईयर का सर्टिफिकेट की कापी लगी है. इससे पहले के स्कूली शिक्षाओं के सर्टिफिकेट की कापी अटैच नहीं है. बीकाम फर्स्ट ईयर के अलावा सर्विस बुक में हिन्दी एवं अंग्रेजी टायपिंग का सर्टिफिकेट लगा हुआ है. हिन्दी टायपिंग का सर्टिफिकेट केरल हिन्दी प्रचार सभा, तिरूवनन्तपुरम से 1 जुलाई 1993 को, जबकि दूसरा सर्टिफिकेट दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा, चेन्नई से 20 अगस्त 1992 को जारी किया गया है, जिसमें 20 शब्द प्रति मिनट टाइप करने की क्षमता उल्लेखित है. अंग्रेजी टायपिंग उत्तीर्ण होने का सर्टिफिकेट 11 अप्रैल 1992 को बोर्ड आफ टेक्नीकल एक्जामिनेशन्स, केरल द्वारा जारी किया गया है. हिन्दी टायपिंग और अंग्रेजी टायपिंग के सर्टिफिकेट में टाइमिंग का जिक्र नहीं किया गया है. बताया जा रहा है कि जांच में यह बात सामने आई है कि रेखा नायर ने केरल के कोटटारकारा के एनएसएस कंप्यूटर से डिप्लोमा इन कंप्यूटर मैनेजमेंट का कोर्स किया हैं, उसकी मान्यता मध्यप्रदेश में संदिग्ध बताई गई है.

बेटियों का नाम बदला, पति से तलाक के दस्तावेज अभिलेखों में नहीं

ईओडब्ल्यू के सूत्रों की माने तो रेखा नायर के सर्विस रिकार्ड में यह दर्ज है कि 18 जनवरी 2007 को उन्होंने के शपथ पत्र के साथ उत्तराधिकारी के लिए नामिनेशन फार्म जमा किया है, जिसमें उन्होंने पति रमेश कोहली, बेटी फाल्गुनी कोहली और उन्नी कोहली को उत्तराधिकारी बनाया था. लेकिन बाद में दोबारा आवेदन देकर रमेश कोहली का नाम हटा दिया और अपनी तीन बेटियों के नाम उत्तराधिकारी के तौर पर दर्ज किए जाने के लिए आवेदन लगाया. इस दौरान उन्होंने पति का नाम हटाने का औचित्य व तलाख संबंधी कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया. रेखा नायर ने अपने तीन बच्चों के बर्थ सर्टिफिकेट के लिए रायपुर नगर निगम में 6 अप्रैल 2011 को आवेदन दिया था. जिस पर 7 अप्रैल को रजिस्टर्ड होने के बाद 11 अप्रैल 2011 को सर्टिफिकेट प्राप्त किया. एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी सामने आया है कि रेखा नायर ने अपने पारिवारिक ब्यौरे में दो बेटियों का नाम फाल्गुनी और उन्नी ऊर्जा दर्ज कराया था, लेकिन वर्तमान में माधुरी, मीनाक्षी और फाल्गुनी कोहली का नाम दर्ज पाया गया है. बताते हैं कि इस मामले को लेकर ईओडब्ल्यू ने रेखा नायर से पूछताछ भी की थी, जिस पर जवाब देते हुए रेखा नायर ने बताया है कि शपथ पत्र देकर उन्होंने उन्नी ऊर्जा का नाम मीनाक्षी नायर और फाल्गुनी कोहली का नाम माधुरी नायर परिवर्तित कराया है. तीसरी बेटी मयूरी का जन्म 12 अगस्त 2007 को हुआ है.

मकान खरीदा लेकिन जानकारी छिपाई

ईओडब्ल्यू की जांच में रेखा नायर और उनके परिजनों के नाम पर करोड़ों रूपए की बेनामी संपत्ति का खुलासा हुआ था. सर्विस बुक की विसंगतियों में यह भी पाया गया है कि नायर ने विभाग को दिए गए संपत्ति विवरण में खम्हारडीह में लिए गए मकान की जानकारी तय प्रारूप में नहीं दिया. केवल सामान्य आवेदन जमा कर दिया. मकान खरीदने के लिए 15 लाख रूपए अपनी मां से लेने की जानकारी बताई गई, साथ ही 7 लाख जीपीएफ, बचत, बैंक लोन और 3 लाख रूपए रिश्तेदारों और दोस्तों से लोन लेना बताया गया है. जबकि 26 फरवरी 2013 को दोबारा सूचना देते हुए मकान निर्माण के लिए 15 लाख रूपए बैंक लोन लेने की बात कही गई. ईओडब्ल्यू नायर के आय के स्त्रोतों की भी जांच करा रही है.

कौन है रेखा नायर?

रेखा नायर निलंबित आईपीएस अधिकारी मुकेश गुप्ता की स्टेनो रही है. सूबे में चर्चा है कि वह मुकेश गुप्ता की बेहद करीबी रही है. सत्ता में भूपेश सरकार के काबिज होने के बाद नान घोटाले में जब जांच की दिशा आगे बढ़ाई गई, तब जाकर कई चौंकाने वाले खुलासे हुए थे. ईओडब्ल्यू में रेखा नायर की पदास्थापना तो थी,लेकिन वहां काम करने वाले लोगों ने उन्हें चार सालों से नहीं देखा था. बकायदा इस दौरान नायर का वेतन जारी होता रहा. जांच में यह भी जानकारी मिली थी कि वह मुकेश गुप्ता के साथ मिलकर अवैध तरीके से फोन टेपिंग में भी लिप्त रही है. ईओडब्ल्यू ने इस मामले में रेखा नायर को भी आरोपी बनाया है. उन पर आय से अधिक संपत्ति मामले में भी अपराध दर्ज किया गया है, जिसकी जांच जारी है.